आज हम आपको अमेरिका के बच्चों के एक ऐसे कारनामे के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे और आप खुद उनकी तारीफ करेंगे। दरअसल, अमेरिका के बच्चों ने एक मिनी बोट तैयार किया, जिसमें उन्होंने ढेर सारे गिफ्ट्स भर दिए और इसके साथ ही उन्होंने टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल इस मिनी बोट में किया था, जिसके बाद उन्होंने उसे समुद्र में उतार दिया और वह अपनी इस बोट पर नजर रखने लगे।
आज हम आपको जिस मामले के बारे में बता रहे हैं यह उत्तरपूर्वी अमेरिकी राज्य न्यू हैम्पशायर से सामने आया है। जहां पर पांचवी कक्षा के कुछ छात्रों ने लगभग छह फुट लम्बी एक मिनी बोट (Mini Boat) तैयार की। इस बोट को उन्होंने साल 2020 में अक्टूबर के महीने में बनाई और इस बोट में ढेर सारे गिफ्ट्स उन्होंने भर दिए जिसके बाद उन्होंने इस मिनी बोट को उन्होंने अटलांटिक महासागर में छोड़ दिया।
इन छोटे-छोटे बच्चों को यह उम्मीद थी कि यह मिनी बोट किसी समुद्री किनारे पर जाकर रुकेगी और जिसको भी यह मिनी बोट मिलेगी उसे ढेर सारे तोहफे भी मिल जाएंगे। इस मिनी बोट का नाम Rye Riptides रखा गया था, जिसमे एक ट्रैकिंग डिवाइस भी लगा हुआ था ताकि वह अपनी इस बोट पर नजर रख सकें।
अब एक साल से भी अधिक समय के बाद इस बोट का पता चला है, वह अपने आप में एक आश्चर्य है। राई जूनियर हाई स्कूल के कुछ बच्चे चाहते थे कि यह बोट यूरोप जाकर रुके। वहीं छठी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों का यह भरोसा था कि इस बोट की यात्रा सफल नहीं होगी और यह पानी में कहीं गुम हो जाएगी। बच्चों ने कहा ‘सच कहूं तो मुझे लगता था कि वह डूब जाएगी, परंतु यह अनुमान गलत साबित हुआ है।”
समुद्र में पूरे हुए 462 दिन
आपको बता दें कि Rye Riptides नाम के इस मिनी बोट पर ट्रैकिंग डिवाइस लगाया गया था। इस मिनी बोट ने समुंदर में 462 दिन पूरे किए और यह इस दौरान अलग-अलग बिंदुओं पर अपने होने की सूचना देखती रही। इसी महीने यूरोप के नॉर्वे के डायर्न्स के पास एक छोटे से द्वीप, स्माला में एक छठी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे को यह बोट मिली। बोट करीब 50 फीसदी तक बर्बाद हो चुकी थी। बाद में वह बच्चा उसे अपने स्कूल ले गया और उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर इस पर मौजूद तोहफे खोले।
बेहद सराहनीय है इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य
आपको बता दें कि इस मिनी बोट को राई जूनियर हाई स्कूल के बच्चों और उनकी टीचर शीला एडम्स ने ढेर सारी तस्वीरों से भर दिया था। इन पर बच्चों का साइन किया हुआ एक फेसमास्क, टूटी हुई पतियों जैसी ढेर सारी चीजें बच्चों ने जुटा कर रखी थीं। स्कूल का लक्ष्य बच्चों को समुंद्र और उसके वैश्विक प्रभावों के बारे में शिक्षित करना था। इस अनोखे तरीके से बच्चों को प्रैक्टिकल करने में भी काफी मजा आया और उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला। संस्थान ने पहली बार 2018 में एडम्स के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर कार्य करना आरंभ किया था।
बच्चे करते थे हर रोज लोकेशन चेक
मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना आने के बाद स्कूलों को बंद करना पड़ गया था जिसकी वजह से यह प्रोजेक्ट भी बंद हो गया था। जब स्कूल खुला तो बच्चों ने फिर से इसे ट्रैक करना शुरू कर दिया था और रोजाना अपने शिक्षक को इसके लोकेशन की अपडेट देने लग गए थे। बच्चे इसे लेकर बहुत उत्साहित रहते थे और रोजाना ही उनके द्वारा इसके लोकेशन को चेक किया जाता था।