शनिदेव के इन सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट, पूरी होती है हर मनोकामना

ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को कर्मफल दाता बताया गया है। शनि देव मनुष्य के कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। जो लोग अपने जीवन में अच्छे कार्य करते हैं और सही मार्ग पर चलकर अपनी जिंदगी जीते हैं, उनके ऊपर शनि देव की सदैव कृपा दृष्टि बनी रहती हैं। परंतु जो लोग हमेशा बुरे काम करते हैं उनको शनिदेव के प्रकोप का सामना करना पड़ता है यानी कि मनुष्य जैसा कर्म करता है उसी के अनुसार शनि देव उसको फल देते हैं।

वहीं शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा करने का विशेष दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर शनिदेव की विधि विधान पूर्वक पूजा की जाए, तो इससे व्यक्ति के जीवन की परेशानियां दूर होती हैं। आज हम आपको शनिदेव के विश्व प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताने वाले हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी लोग इन मंदिरों में जाकर शनि देव के दर्शन कर लेते हैं, उनके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

शनि शिंगणापुर मंदिर, महाराष्ट्र

शनिदेव के विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मंदिर महाराष्ट्र में स्थित है। यह मंदिर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में काले रंग की मूर्ति है, जो स्वयंभू है। इस मूर्ति की ऊंचाई 5 फुट 9 इंच है। इसके साथ ही इस मूर्ति की चौड़ाई 1 फुट 6 इंच है। संगमरमर के एक चबूतरे पर शनि देव की मूर्ति स्थित है। यह धूम में विराजमान है।

यहां शनिदेव अष्ट प्रहर धूप हो, आंधी हो, तूफान हो या फिर जाड़ा हो, यह मूर्ति हर मौसम में बिना छत्र धारण किए खड़ी रहती है। हजारों-लाखों भक्त रोजाना ही इस मूर्ति के दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस शनि मंदिर में शनिदेव के दर्शन करने के लिए जो भी मनुष्य जाता है उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

शनि मंदिर, प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश)

भारत के विश्व प्रसिद्ध शनि मंदिरों में से एक मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में मौजूद है, जो शनि धाम के रूप में प्रख्यात है। प्रतापगढ़ जिले के विश्वनाथगंज बाजार से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर कुशफरा के जंगल में भगवान शनि का प्राचीन पौराणिक मंदिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना हुआ है।

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है। यह स्थान चमत्कारों से भरा हुआ है। इस मंदिर में प्रत्येक शनिवार भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। इस मंदिर में लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं।

शनिचरा मंदिर, मुरैना (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश के ग्वालियर के नजदीक एंती गांव है, जहां पर विराजित शनिदेव का देशभर में विशेष महत्व है। ऐसा बताया जाता है कि भगवान हनुमान जी रावण की कैद से छुड़वा कर शनिदेव को यहां लेकर आए थे। तब से ही यहां पर शनिदेव विराजमान हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि यहां शनि मंदिर पर प्रतिष्ठित शनिदेव की प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे एक उल्का पिंड से निर्मित हुई है, जिससे यह स्थान विशेष प्रभावशाली है।

ऐसी मान्यता है कि आज भी यहां पर अमर रूप में शनि देव विराजमान हैं। अक्सर इस मंदिर में कई चमत्कार हुए हैं, जिसे देखते हुए ग्वालियर के सिंधिया राजघराने द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

शनि तीर्थ क्षेत्र, असोला, फतेहपुर बेरी

असोला, फतेहपुर बेरी में एक स्थान है जिसे शनि तीर्थ क्षेत्र कहा जाता है। वहीं दिल्ली के पास महरौली में स्थित है शनि धाम मंदिर। ऐसा अनुमान है कि यहां पर शनिदेव की सबसे बड़ी मूर्ति विद्यमान है, जो कि अष्टधातुओं से बनी हुई है। शनि देव की भक्ति का यह स्थान हमेशा से ही केंद्र रहा है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर जो भी लोग दर्शन करने के लिए आते हैं, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहां एक प्रतिमा में शनि देव गिद्ध और दूसरे में भैंस पर सवार हैं। असोला शक्तिपीठ को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां शनिदेव स्वयं जागृत अवस्था में विराजमान हैं। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।