कम उम्र में हुई शादी तो छूट गई पढ़ाई, बेटियों ने 53 साल की मां को पढ़ाया, अब तीनों ने पास कर ली बोर्ड परीक्षा
पढ़ाई लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अच्छी शिक्षा प्राप्त करना हर देश के नागरिक का अधिकार है। व्यक्ति अच्छी शिक्षा के दम पर ही अपने करियर का निर्माण कर सकता है। शिक्षा के बिना कोई भी व्यक्ति कुछ भी नहीं है। वैसे देखा जाए तो पहले के समय से अब के समय में बहुत ज्यादा फर्क है। पहले पढ़ाई का उतना ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था परंतु आज के समय में शिक्षा नहीं है तो आपकी कोई वैल्यू भी नहीं है। वर्तमान समय में सबसे ज्यादा शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है।
अक्सर देखा गया है कि व्यक्ति शिक्षा तो प्राप्त करना चाहता है परंतु जीवन में ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं, जिसके चलते वह अपनी पढ़ाई नहीं कर पाता है। ऐसा कहा जाता है कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है। हौसला हो, खुद पर यकीन हो तो इंसान किसी भी मुकाम तक पहुंच सकता है। भले ही आप किसी कारणवश शिक्षा पूरी ना कर पाएं हों, परंतु आप किसी भी उम्र में पढ़ना चाहते हैं, तो आप पढ़ सकते हैं।
आज हम आपको इस लेख के माध्यम से त्रिपुरा की एक 53 साल की महिला के बारे में बताने वाले हैं, जिसने यह साबित कर दिखाया है कि हौसला हो और खुद पर यकीन हो तो इंसान अपने अधूरे सपने को पूरा कर सकता है। इस महिला ने अपनी दो बेटियों के साथ बोर्ड की परीक्षा पास कर ली है और हम सभी के लिए प्रेरणा बन गईं।
53 की उम्र में पास की 10वीं की परीक्षा
दरअसल, आज हम आपको त्रिपुरा की जिस 53 वर्षीय महिला के बारे में बता रहे हैं उनका नाम शीला रानी दास है, जिन्होंने अपनी दो बेटियों के साथ बुधवार को त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (Tripura Board of Secondary Education) की परीक्षा पास की है। शीला रानी दास ने त्रिपुरा बोर्ड की कक्षा 10वीं की परीक्षा पास की।
वहीं उनकी दोनों बेटियों ने इसी वर्ष उच्चतर माध्यमिक परीक्षा यानी 12वीं की परीक्षा (Tripura board class 12th) पास की। जब वे और उनकी दो बेटियों ने त्रिपुरा बोर्ड की परीक्षा पास की, तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। मां-बेटियों की तिकड़ी ने मुस्कुराते चेहरे और हाथ में मार्कशीट सभी के लिए प्रेरणादायक हैं।
कम उम्र में ही छूट गई थी पढ़ाई
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जब शीला रानी दास की उम्र बहुत छोटी थी, तो उनकी शादी हो गई थी। कॉपी-किताब छोड़कर शीला रानी दास को गृहस्थी की बागडोर संभालनी पड़ी लेकिन उनके पति बहुत ही जल्द गुजर गए थे, जिसके चलते शीला की पढ़ाई का सपना अधूरा रह गया था। इसके बाद उन्होंने अपनी दोनों बेटियों की परवरिश अकेले के दम पर की। जब बेटियां बड़ी हुईं, तो उन्हें अपनी मां की पढ़ाई की इच्छा के बारे में पता चला।
बेटियों ने मिलकर मां को पढ़ाया
जब बेटियों को अपनी मां की पढ़ाई की इच्छा के बारे में जानकारी हुई, तो बेटियों की जिद ने शीला रानी दास को हिम्मत दी। दोनों बेटियों ने अपनी मां को बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए कहा। शीला ने अपनी बेटियों के कहने पर अपनी पढ़ाई शुरू कर दी और अपनी बेटियों के मार्गदर्शन में बोर्ड परीक्षा की तैयारी की।
आपको बता दें कि शीला ने अभयनगर स्मृति विद्यालय, अगरतला से बोर्ड की परीक्षा पास की है। वहीं शीला की बेटी जयश्री ने अगरतला के बानी विद्यापीठ विद्यालय से एचएस की परीक्षा पास की। उसने कहा कि “हम खुश हैं क्योंकि हमारी मां ने 10वीं की परीक्षा पास की और मेरी बहन और मैंने 12वीं की परीक्षा पास की। हमने मां को पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया और उसकी पढ़ाई में भी मदद की है।”
एएनआई से बातचीत करते समय शीला ने यह बताया कि “मुझे खुशी है कि मैंने परीक्षा पास कर ली है। मेरी बेटियों और अन्य लोगों ने मेरा समर्थन किया और मुझे ऐसा करने के लिए प्रेरित किया है। मुझे विश्वास था कि मैं परीक्षा पास कर लूंगी।