बेटे के खातिर ऐसा मां ही कर सकती है, खुद का लीवर देकर अपने जिगर के टुकड़े की बचाई जिंदगी
मां एक ऐसा शब्द है, जिसके महत्व के विषय में जितनी भी बात की जाए कम ही है। हम मां के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। मां की महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंसान भगवान का नाम लेना भले ही भूल जाए, लेकिन मां का नाम लेना नहीं भूलता है। मां को प्रेम व करुणा का प्रतीक माना जाता है। एक मां ही होती है, जो पूरी दुनियाभर के कष्ट सहकर भी अपनी संतान को अच्छी से अच्छी सुख सुविधाएं देना चाहती है। हर मां अपने बच्चों से बहुत ज्यादा प्रेम करती है। मां भले ही भूखी सो जाए परंतु अपने बच्चों को खाना खिलाना नहीं भूलती है।
मां अपने बच्चों की खुशियों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है। जब बच्चों की खुशियों की बात आती है, तो मां अपनी खुशियों का भी त्याग कर देती है। वहीं जब बच्चों पर किसी भी प्रकार की मुसीबत आती है. तो मां हर संभव कोशिश करके अपने बच्चों को मुसीबत से बाहर निकाल लेती हैं परंतु अपने बच्चों को कुछ भी नहीं होने देते हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश के उज्जैन से एक ममताभरी कहानी सामने आई है। यहां एक महिला ने अपने 6 साल के बच्चे को बचाने के लिए उसे अपनी किडनी डोनेट की है।
आपको बता दें कि यह महिला शाजापुर जिले के ढाबलाधीर की रहने वाली है। इस महिला ने अपने जिगर के टुकड़े की जिंदगी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने पर सीएम शिवराज से गुहार लगाई। बेटे के लीवर प्रत्यारोपण के लिए 25 लाख रुपए की व्यवस्था सरकार ने की। एक महीने पहले ही 6 साल के अपने बेटे को अपना लीवर ट्रांसप्लांट करा कर बेटे को नई जिंदगी दे दी। आज मां-बेटे दोनों स्वस्थ हैं।
पहले ही खो चुकी थी बेटी और बेटा
आपको बता दें कि शाजापुर जिले के ग्राम ढाबला धीर निवासी सुनीता बाई मेवाड़ा की एक बेटी और एक बेटा पहले ही लीवर संक्रमित होने की वजह से इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं। वहीं तीसरे बेटे देवराज की उम्र अभी महज 6 वर्ष की थी। उसका भी लीवर संक्रमित हो गया। इसके बाद डॉक्टर ने यह सलाह दी कि लीवर प्रत्यारोपण करके ही इसकी जिंदगी बचाई जा सकती है।
वहीं मां सुनीता अब अपने तीसरे बेटे को नहीं खोना चाहती थी। इसी वजह से उसने खुद अपने बेटे को लीवर देने का फैसला लिया। लेकिन एक बार फिर मां की ममता की परीक्षा की घड़ी थी। सुनीता ने अपने बेटे को लीवर देने का फैसला तो कर लिया लेकिन उसके लिए 25 लाख रुपए का खर्चा था। सुनीता की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी जिसके चलते इतना पैसा जुटा पाना उनके लिए संभव नहीं था।
CM ने की मदद
सुनीता बाई ने पति चुन्नीलाल के साथ सीएम शिवराज से मिलने की हर संभव कोशिश की और उन्हें कामयाबी भी मिली। सीएम शिवराज से मिलकर देवराज का जीवन बचाने के लिए गुहार लगाई। CM शिवराज ने भी तत्काल 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि देकर तत्काल भोपाल के एक निजी अस्पताल में लीवर प्रत्यारोपण कराया। मां सुनीता ने अपना लीवर देकर बेटे देवराज को दूसरा जीवनदान दिया। देवराज अब स्वस्थ है।