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उठ गया सिर से पिता का साया लेकिन नहीं हारी हिम्मत, बसों की मरम्मत कर सोनी चला रही हैं घर

इंसान के जीवन में कभी भी एक जैसा समय नहीं रहता। इंसान को अपने पूरे जीवन काल में हर उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। कभी जीवन में सुख आता है तो कभी दु:ख का भी सामना करना पड़ता है। जब इंसान के जीवन में दुख आता है तो ज्यादातर लोग कठिन दौर में टूट जाते हैं परंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कठिन समय में अपने आपको संभाल लेते हैं। आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसने अपने जीवन के कठिन दौर में हिम्मत नहीं हारी। दरअसल, नौकरी लगने के 5 दिन पहले पिता का साया इस बेटी के सिर से उठ गया था। पिता के जाने के बाद परिवार में मातम फैल गया, सभी लोग सहम गए लेकिन 22 साल की बेटी सोनी ने हिम्मत नहीं हारी और आज यह अपने परिवार का सहारा बनकर खड़ी हुई है।

आपको बता दें कि सोनी हिसार के गांव राजली की रहने वाली है। सोनी आठ भाई-बहनों में तीसरे नंबर की है। हरियाणा रोडवेज के हिसार डिपो में सोनी ने अपनी नौकरी ज्वाइन की। आज यह हिसार डिपो में मैकेनिकल हेल्पर के पद पर कार्यरत है। सोनी की आमदनी से ही घर का गुजारा चलता है। हिसार डिपो में सोनी रोजाना बसों की मरम्मत करती है, जब लोग सोनी को काम करते हुए देखते हैं तो सभी आश्चर्यचकित हो जाते हैं।

सोनी के पिताजी नरसी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बीमारी के चलते 27 जनवरी 2019 को इनका निधन हो गया था। सोनी की माता जी का नाम मीना देवी है और यह हाउसवाइफ हैं। खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि सोनी ने हिसार डिपो के मैकेनिकल हेल्पर के पद पर 31 जनवरी 2019 को जॉइन किया था। बता दें कि सोनी मार्शल आर्ट के पेंचक सिलाट गेम की भी बेहतरीन खिलाड़ी रह चुकी है। इन्होंने मार्शल आर्ट के पेंचक सिलाट गेम की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में लगातार तीन बार स्वर्ण पदक जीता है।

सोनी के पिता जी का यही सपना था कि उनकी बेटी खिलाड़ी बनकर देश का नाम रोशन करें और देश के लिए पदक जीते। सोनी ने अपने पिता जी के कहने पर ही वर्ष 2016 में खेलना आरंभ किया था। तीन बार लगातार सोनी ने स्वर्ण पदक भी जीता है। उसकी खेल कोटे के तहत ग्रुप डी में उसकी नौकरी लगी है।

आपको बता दें कि सोनी ने शुरुआत में अपने गांव राजली में कबड्डी खेलना आरंभ किया था परंतु कबड्डी की पूरी टीम नहीं बन पाई थी। एक दिन उनके गांव में उनकी सहेली सोनिया उनसे मिलने के लिए आई। बातचीत करते करते सोनिया ने सोनी को पेंचक सिलाट गेम ज्वाइन करने की बात कही थी। कुछ ही दिनों बाद सोनी ने खेल में अपना कदम रखा और पदक लाना भी शुरू कर दिया।

सोनी को खेल कोटे के तहत हिसार डिपो में मैकेनिकल हेल्पर के पद पर नौकरी मिल गई और इसी नौकरी की आमदनी से यह अपने घर का गुजारा चला रही हैं। कठिन दौर में सोनी ने जो हिम्मत दिखाई है, उसकी जितनी सराहना की जाए उतनी कम है। हम इनकी हिम्मत को सलाम करते हैं।

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