दिल्ली के आर्किटेक ने तैयार कर दिया मिट्टी का अनोखा कूलर, गर्मियों में AC की जरूरत नहीं, बिजली खर्च न के बराबर
जैसे की हम सभी लोग जानते हैं हमेशा एक जैसा मौसम नहीं रहता है। सर्दियों के मौसम के बाद अब गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है। इन दिनों गर्मियों के मौसम में इतनी अधिक गर्मी पड़ रही है कि सभी लोगों का बुरा हाल है। गर्म तेज हवाएं चल रही हैं। जमीन, दीवारें, घर, हवा आदि सब गर्म हो गए। सूर्य की भीषण गर्मी से तालाब, नदियां सूखने लगे हैं। गर्मियों के मौसम में लोग गर्मी से बचने के लिए घरों को ठंडा बनाए रखने के लिए तरह-तरह के तरीके ढूंढते हैं।
बढ़ती गर्मी हमेशा से ही हमारे लिए एक बड़ी समस्या रही है। लोग इस गर्मी से बचने के लिए और अपने घरों को ठंडा रखने के लिए ना जाने क्या-क्या प्रयास करते रहते हैं। वैसे देखा जाए तो AC बढ़ते तापमान के साथ गर्मी से राहत तो दिला देता है परंतु इसके इस्तेमाल से बिजली की खपत भी तेजी से बढ़ जाती है, जिसका नतीजा यह होता है कि बिजली बिल की मोटी रकम लोगों को चुकानी पड़ जाती है।
गर्मियों में लोगों को बहुत से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मगर आपकी यह परेशानी अब शायद दूर हो सकती है। जी हां, इन समस्याओं के मद्देनजर दिल्ली के आर्किटेक मोनिश सिरिपिरायु ने एक ऐसे कूलिंग सिस्टम की उत्पत्ति की है, जो AC पर हमारी निर्भरता को कम कर सकता है। इन्होंने गर्मी से छुटकारा पाने के लिए एक ऐसा अनोखा कूलर बना दिया, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है।
मिट्टी के बर्तन से बनाया यह कूलिंग सिस्टम
आपको बता दें कि मोनिश सिरिपिरायु दिल्ली के रहने वाले हैं। आर्किटेक्चर फर्म एंट स्टूडियो के संस्थापक मोनिश सिरिपिरायु ने टेराकोटा और पानी की मदद से “कूलएंट” की खोज की है। यह कूलिंग प्रणाली भारत के साथ ईरान मिस्र और सऊदी अरब समेत कई देशों में किया जाता है, जिसे उन्होंने एक नया रूप दिया है। इसे मिट्टी के घड़ों द्वारा बनाया गया है। इसकी मदद से हम किसी भी बिल्डिंग के अंदर तकरीबन 30% तक एयर कंडीशनर के लोड को कम कर सकते हैं।
आपको बता दें कि भले ही यह पूरी तरीके से AC की तरह काम नहीं कर सकता परंतु लिविंग एरिया, दुकान या कैफे जैसे स्थानों पर हम इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे 30-40% तक बिजली की खपत को कम किया जा सकता है।
कैसे काम करता है यह कूलर
मोनिश ने एक इंटरव्यू के दौरान यह बताया कि “जिस प्रकार मिट्टी के बर्तन में पानी ठंडा रहता है। उसी वाष्पीकरण की विधि इसमें इस्तेमाल की गई है। लेकिन उलटे क्रम में, इसमें हम इन बर्तनों के ऊपर पानी डालते हैं। और इसे बहने देते हैं। वहीं हवा उन खोखले मिट्टी के बर्तनों से होकर गुजरती है और ठंडी हो जाती है। कुल मिलाकर यह तकनीक गर्म हवा को ठंडा बनाने का काम करता है। मोनिश के मुताबिक यह तकनीक बहुत मुश्किल नहीं है। बस इसे एक नया रूप दिया गया है। ताकि इसे इस्तेमाल करने में आसानी हो। वैसे इस जानकारी के विषय में आप सभी लोगों की क्या प्रतिक्रियाएं हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।