कभी बेटी की याद में आकर साइकिल पर बेचते थे वाशिंग पाउडर, आज करोड़ों की नेट वर्थ है इस कंपनी की
हर कोई करोड़पति बनने के सपने देखता है. कई बार लोग अपनी मजबूरियों की वजह से बड़े सपने देखना बंद कर देते है या निरंतर प्रयास छोड़ देते है. आज हम बात करने जा रहे है एक ऐसे ही बिजनेस की जो एक व्यक्ति से शुरू हुई और आज देश विदेश में लोकप्रिय ब्रांड है. यह कोई और कंपनी नहीं बल्कि वाशिंग पाउडर निरमा है. दरअसल, निरमा पाउडर के विज्ञापन पर छपी लड़की का असल नाम ‘निरूपमा’ है. इनके नाम पर ही वॉशिंग पाउडर का नाम “निरमा” रखा गया था.
बता दे कि निरुपमा से निरमा तक की कहानी बेहद इमोशनल करने वाली है. गौरतलब है कि जब एक दिन गुजरात की रहने वाली निरमा स्कूल में पढ़ने गई तभी एक दिन कार से टक्कर हुई और इस हादसे में वह चल बसी. इस घटना के बाद निरुपमा के पिता करसनभाई और उनके परिवार को बहुत धक्का लगा था. करसनभाई अपनी बेटी से बेतहाशा प्यार करते थे. वो चाहते थे कि उनकी बेटी दुनिया में ख़ूब नाम कमाए, लेकिन छोटी सी उम्र में बेटी की मौत ने उन्हें दुख के अंधकार में धकेल दिया था. ऐसे में करसनभाई ने बेटी निरुपमा के नाम को अमर बनने कि ठान ली थी.
इसीलिए उन्होंने बेटी के नाम पर साल 1968 में “निरमा” कंपनी की शुरुआत की. दरसअल करसनभाई अपनी बेटी को प्यार से निरमा भी बुलाते थे. इसके बाद डिटर्जेंट के पैकेट पर बेटी की तस्वीर छाप कर उसे हमेशा के लिए अमर कर दिया. लेकिन यह कारोबार को अपने सपने जैसे बड़ा करना इतना आसान भी नहीं था. बेटी कि मौत के बाद तीन साल तक करसनभाई ने एक अनोखे वॉशिंग पाउडर का फॉर्मूला तैयार किया और धीरे धीरे पाउडर की बिक्री शुरू कर दी.
हालांकि वे वाशिंग पाउडर का काम कर रहे थे मगर वे साथ ही साथ अपनी सरकारी नौकरी में भी काम कर रहे थे. वह दफ्तर अपनी साइकिल से जाए करते थे और इसी दौरान रास्ते में वह अपनी बनाई हुई सर्फ को घर घर बेचते थे. जहा मार्केट में सर्फ 15 रुपए किलो मिलती थी वहीं करसनभाई सिर्फ साढ़े तीन रुपये प्रति किलो के हिसाब से निरमा बेचते थे. इसी वजह से आसपास के कम आमदनी वाले लोगों में इस पाउडर की डिमांड बढ़ गई और निरमा अच्छा व्यापार करने लगी.
वहीं 1969 में अपने बल बूते पर कंपनी खड़ी करने वाले करसनभाई की कंपनी की आज 70000 करोड़ से भी ज़्यादा का टर्नओवर है और इसमें करीब 18000 लोग काम करते है. आज करसनभाई पटेल की गिनती भारत के रईस बिज़नेसमैन की सूची में कि जाती है. उन्होंने अपने ठानी बात को पूरा किया और अपनी बेटी के नाम को अमर बना दिया.