इंसानियत की मिसाल बना ये पुलिस वाला, फर्ज के खातिर टाल दी बेटी की शादी, 1100 शवों का किया अंतिम संस्कार

कोरोना महामारी के बीच लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। मुश्किल की इस घड़ी में लोग एक-दूसरे से हाथ मिलाने में भी डर रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि कोरोना काल में उन रिश्तो का काला सच भी सामने आने लगा है जिनके दम पर लोग दुनिया जीतने की बातें किया करते थे। कोरोना महामारी की दूसरी लहर काफी खतरनाक साबित हो रही है। वायरस का डर सभी लोगों के मन में बैठ चुका है। रोजाना ही कोरोना संक्रमण के कारण किसी ना किसी की जान जा रही है। लोग शव को ले जाने के लिए नहीं आ रहे हैं। राजधानी दिल्ली में भी कुछ इस तरह का हाल देखने को मिल रहा है। परंतु ऐसा नहीं है कि इस संकट में कोई भी व्यक्ति मदद के लिए सामने नहीं आया है। आपको बता दें कि राकेश कुमार जैसे लोग अभी भी हैं जो शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।

आपको बता दें कि राकेश कुमार साउथ-ईस्ट दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन थाने में एएसआई के पद पर तैनात हैं। राकेश कुमार की उम्र 56 साल की है और यह मूल रूप से यूपी के बड़ौत के रहने वाले हैं। राकेश कुमार ने साल 1986 में पुलिस फोर्स ज्वाइन की थी। कोरोना काल में राकेश कुमार का ठिकाना पुलिस स्टेशन नहीं बल्कि लोदी रोड स्थित श्मशान घाट बन चुका है। जी हां, राकेश कुमार यहां पर कोरोना संक्रमण से मरे हुए लोगों के शवों का अंतिम संस्कार कराने में सहायता कर रहे हैं।

लोदी रोड स्थित श्मशान घाट में ज्यादातर ऐसे शव आते हैं जिसका कोई भी परिजन मौजूद नहीं होता है। राकेश कुमार इनका संस्कार अपना कर्तव्य मानते हुए करते हैं। 13 अप्रैल से लगातार एएसआई राकेश कुमार अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी के साथ निभा रहे हैं। सुबह से शाम तक यह अपना कर्तव्य निभाने के लिए यहां पर डटे रहते हैं। राकेश कुमार के बारे में सबसे खास बात यह भी है कि उन्होंने अपने फर्ज को ही अपना धर्म मान लिया है। अपने फर्ज से ऊपर उनके लिए कुछ भी नहीं है। राकेश कुमार ने इसका उदाहरण तब पेश किया था जब ड्यूटी की वजह से उन्होंने अपनी बेटी की शादी कुछ समय के लिए टाल दी। थी।

आपको बता दें कि राकेश कुमार अपनी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं। उन्होंने वैक्सीन का टीका भी लगवा लिया है। राकेश कुमार 13 अप्रैल से अपनी ड्यूटी दे रहे हैं और इस समय अवधि के दौरान वह 1100 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं। एएसआई राकेश कुमार का ऐसा कहना है कि उन्हें किसी भी बात का डर नहीं है। किसी को तो यह काम करना ही है। तब सिस्टम कैसे चलेगा, जब हम इंसान इससे मुंह मोड़ लेंगे।

बता दें कि लोग श्मशान घाट में आने से डर रहे हैं। इस बीच 60 ऐसे शव अंतिम संस्कार के लिए आए थे जिनके परिजन साथ थे परंतु श्मशान घाट के अंदर डर की वजह से नहीं आ रहे थे। ऐसे में एएसआई राकेश कुमार ने उन शवों का अंतिम संस्कार करवाया। रोजाना ही तरह-तरह के मामले राकेश कुमार के सामने आते हैं। एक ऐसा मामला उनके सामने आया, जब विदेश से उनको फोन आया, जिसमें किसी परिजन का अंतिम संस्कार करने की विनती की गई थी।