अक्सर ज्यादातर लोगों के मुंह से आप लोगों ने सुना होगा कि संपत्ति ही व्यक्ति का सबसे बड़ा धन होता है परंतु वास्तव में देखा जाए तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, क्योंकि मानवता सबसे बड़ा धन माना गया है। जी हां, मानवता का मतलब इंसानियत, दया, मनुष्य जाति का स्वभाव है। यदि हम दूसरे लोगों की मदद करते हैं तो हम मानवता का धर्म निभाते हैं। अगर आप किसी भूखे इंसान को खाना खिलाते हैं तो यह भी मानवता है। अंधे को सड़क पार कराना भी मानवता की श्रेणी में आता है।
आप ऐसा समझ लीजिए कि हर मनुष्य का जन्म दूसरों की मदद के लिए ही हुआ है। इसलिए हमें अपने अनमोल जीवन का पूरा उपयोग करना चाहिए। अगर आप निस्वार्थ भाव से किसी भी इंसान की सहायता करते हैं तो उसका फल ऊपर वाला देता है फिर चाहे वह किसी भी रूप में हो सकता है।
अगर आप किसी जरूरतमंद की निस्वार्थ भाव से थोड़ी सी आर्थिक मदद कर देते हैं या फिर उसे किसी मुश्किल से बाहर निकालते हैं तो इसका फल आपको अपने जीवन में कभी न कभी ईश्वर जरूर देता है। इसी बीच कुछ ऐसा ही एक रिक्शेवाले के साथ हुआ जिसकी निस्वार्थ भाव की सेवा से खुश होकर उड़ीसा में एक 63 साल की महिला ने अपनी सारी संपत्ति उसके नाम कर दी। जी हां, इस बुजुर्ग महिला ने भरोसे और वफादारी के नाम पर अपनी सारी संपत्ति रिक्शा वाले को दे दी और दरियादिली की एक नई मिसाल पेश की है।
हम आपको उड़ीसा से आई जिस खबर के बारे में बता रहे हैं वहां पर कटक की 63 साल की महिला इस दुनिया में अब अकेली हैं। वैसे कहने के लिए तो इस बुजुर्ग महिला की इस शहर में तीन बहनें और एक भाई तथा बच्चे भी हैं लेकिन रिश्तेदारों की इतनी लंबी लिस्ट के बावजूद भी महिला ने अपने पति के जीवन भर की सारी पूंजी, जिस पर उनके बाद इस महिला का ही अधिकार है वह सब एक साधारण रिक्शेवाले के नाम कर दी।
आपको बता दें कि इस बुजुर्ग महिला का नाम मिनाती पटनायक है, जिसने पिछले 1 वर्ष में सिर्फ अपने जीवन में दुख ही दुख सहन किया है। महज 1 वर्ष में ही इनका पूरा परिवार उजड़ गया। इस बुजुर्ग महिला के पति का नाम कृष्णा कुमार था, जिनका कैंसर की वजह से पिछले वर्ष जुलाई के महीने में ही निधन हो गया था। इतना ही नहीं बल्कि इनकी एकलौती बेटी जिसका नाम कमल कुमारी था, वह इसी वर्ष जनवरी के महीने में आग की चपेट में आ गई, जिसके बाद उनका दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया।
1 साल के अंदर दो दो लोगों के निधन से मिनाती पटनायक पूरी तरह से टूट गईं। जब इस कठिन घड़ी में उनके साथ कोई अपना नहीं आया तो उस दौरान बुधा नाम का रिक्शा वाला और उसका परिवार मिनाती पटनायक के साथ खड़ा रहा। इस कठिन परिस्थिति में भी रिक्शावाले ने इस महिला का पूरा साथ दिया।
मिनाती का ऐसा कहना है कि बुधा ने हमेशा उनको मां कहां है। उनकी बेटी को भी रिक्शे पर स्कूल से लेकर कॉलेज तक बुधा पहुंचाता रहा। जब मिनाती के पति कृष्णा कुमार व्यापार किया करते थे तो उस दौरान भी उनके परिवार की हर आवश्यकता के समय बुधा हमेशा खड़ा नजर आता था। बुधा उनके मकान में साल 1994 से किराए पर रहता है।
मिनाती का ऐसा बताना है कि इतने वर्षों से बुधा उनके परिवार का एक हिस्सा बनकर रह रहा है। जब बुधा की बेटी की शादी हुई थी तो उस दौरान मिनाती और उनके पति कृष्णा ने आर्थिक सहायता की थी। अब मिनाती का ऐसा मानना है कि उनकी प्रॉपर्टी का बेहतर हकदार कानूनी रूप से बुधा ही है।
मिनाती का ऐसा बताना है कि उनके रिश्तेदारों के पास दौलत की कोई भी कमी नहीं है। वह हमेशा से ही यही चाहती थीं कि वह अपनी सारी संपत्ति किसी निर्धन को दें। उनका बताना है कि जब उनकी बेटी का निधन हो गया था तब बाद में उनका फोन तक रिश्तेदार नहीं उठाया करते थे। इस मुश्किल वक्त में बुधा और उसका परिवार साथ खड़ा रहा था।
मिनाती ने अपना 3 मंजिला मकान और 300 ग्राम सोने के गहने बुधा के नाम पर दिए, जिसकी कीमत एक करोड़ बैठती है। मिनाती की महानता और दरियादिली की तारीफ अब आस-पड़ोस के लोगों के अलावा सोशल मीडिया पर भी लोग कर रहे हैं। यह पूरी कहानी जानने के बाद लोग बहुत भावुक हो जा रहे हैं।