आपको बता दें कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष यानी पितृ पक्ष रहने वाला है। इस वर्ष श्राद्ध 20 सितंबर से शुरू हो रहे हैं और अश्विन महीने की अमावस्या को यानी 6 अक्टूबर, दिन बुधवार को समाप्त होगा। श्राद्ध को महालय या पितृपक्ष के नाम से भी जानते हैं। श्राद्ध के दिनों में लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं जिससे उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है।
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को एक महत्वपूर्ण पर्व माना गया है। यह पर्व पितरों यानी कि मृत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान श्राद्ध कर अपने पितरों को मृत्यु च्रक से मुक्त कर उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में सहायता करता है। आज हम आपको ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्राद्ध के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
श्राद्ध के समय इन खास बातों का रखें ध्यान
1. श्राद्ध के समय आपको यह बात ध्यान रखनी होगी कि श्राद्ध कार्य दोपहर के समय करना चाहिए। वायु पुराण के मुताबिक, शाम के समय श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि शाम का समय राक्षसों का माना जाता है।
2. आप दूसरे की भूमि पर श्राद्ध कर्म कभी भी ना करें। जैसे अगर आप अपने किसी रिश्तेदार के घर हैं और श्राद्ध चल रहे हैं तो आपको वहां पर श्राद्ध करने से बचना होगा। आपको बता दें कि अपनी भूमि पर किया गया श्राद्ध ही फलदाई माना जाता है। हालांकि पुण्य तीर्थ या मंदिर या अन्य पवित्र स्थल दूसरे की भूमि नहीं मानी जाती है इसलिए आप पवित्र स्थानों पर भी श्राद्ध कर सकते हैं, इससे आपको पूर्ण फल मिलेगा।
3. श्राद्ध जैसे कार्य में आप गाय का घी, दूध या दही काम में ले सकते हैं। यह बहुत ही बेहतर माना गया है।
4. अगर आप अपने पितृगण को प्रसन्न करना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में श्राद्ध के भोजन आदि में तुलसी और तिल का प्रयोग करें।
5. श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन चांदी के बर्तनों में ही कराना चाहिए। श्राद्ध में चांदी के बर्तनों का उपयोग और दान बड़ा ही पुण्यदायी माना जाता है।
6. श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं। अगर कोई व्यक्ति बिना ब्राह्मण को भोजन कराए, श्राद्ध कर्म करता है, उसके घर में पितर भोजन ग्रहण नहीं करते। जो व्यक्ति ऐसा करता है उसको पाप लगता है।
7. आप इस बात का ध्यान रखें कि श्राद्ध से एक दिन पहले ही ब्राह्मण को खाने के लिए निमंत्रण दे आएं और अगले दिन खीर, पूड़ी, सब्जी और अपने पितरों की कोई भी पसंदीदा चीज बनाकर ब्राह्मण को भोजन कराएं।
8. जब आप ब्राह्मण को भोजन खिला रहे हों तो उस समय के दौरान दोनों हाथों से खाना परोसे। आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि श्राद्ध में ब्राह्मण का खाना एक ब्राह्मण को ही दिया जाना चाहिए। ऐसा नहीं है कि आप किसी भी जरूरतमंद को दे दें।
9. ब्राह्मण को आसन पर बिठाकर ही भोजन कराएं। आप कपड़े, ऊन, कुश या कंबल आदि का आसन इस्तेमाल कर सकते हैं परंतु आसन में लोहे का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। भोजन के बाद ब्राह्मण को अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा और कपड़े आदि दान दें।
10. आपको बता दें कि श्राद्ध के दिन बनाए गए भोजन में से गाय, देवता, कौवे, कुत्ते और चीटियों के निमित्त भी भोजन जरूर निकालें। आप कौओं और कुत्तों को भोजन कराएं। जबकि देवता और चींटी का भोजन आप गाय को खिला सकते हैं। ब्राह्मण आदि को भोजन कराने के बाद घर के बाकी सदस्यों और परिजनों को भोजन कराएं।
11. श्राद्ध के दिनों में अगर आपके घर के मुख्य द्वार पर कोई भिखारी या जरूरतमंद आता है तो उसको आदर पूर्वक भोजन कराएं।
12. श्राद्ध के भोजन में जौ, मटर, कांगनी और तिल का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है।
13. श्राद्ध के दौरान चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला नमक, लौकी, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बांसी अन्न निषेध है।