कुदरत की बात करें तो उसकी मंजूरी से कई असम्भव काम सम्भव हो जाते हैं| फिर चाहे विज्ञान के लिए ये काम भले ही नामुमकिन प्रतीत हो रहे हों| ऎसी ही एक घटना से हम आज आपको रूबरू कराने जा रहे हैं जहाँ एक गर्भवती महिला अपने गाव को पैदल वापिस लौट रही थीं| शहर से लौट रही इस महिला के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसे देखकर कई लोग हैरान रह गये| बता दें के मध्य प्रदेश के बडवानी जिले में इस महिला नें चिलचिलाती धुप में सडक पर ही ही बिना किसी मेडिकल मदद के बच्चे को जन्म दे दिया|
इसके बाद भी बच्चे को सकुशल पाने की ख़ुशी अभी पूरी नही हुई थी के लगभग 2 घंटो बाद फिर से इसने घर की और चलना भी शुरू कर दिया| बता दें के नासिक में लॉकडाउन की वजह से फंसे ये मजदूर अपनी गर्भवती पत्नियों को लेकर अपने गाव की और लौट रहे थे| जहाँ रास्ते में ही एक मजदूर की पत्नी शकुन्तला की अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी| ऐसे में सडक पर आती जाती महिलाओं ने ही साडी के आड़ में महिला का प्रसव करवाया|
यह सब महाराष्ट्र के ही पीपरी गाव में हुआ जहा पर महिला नें बिना हॉस्पिटल जाए बच्चे को सकुशल जन्म दिया और फिर बगैर चेकअप के भूखे प्यासे ही महिला ने अपना सफर फिर से शुरू कर दिया| बता दें के ये लोग मध्य प्रदेश से चलकर रविवार को सेंधवा पहुंचे थे| इन्ही मजदूरों के बीच यह महिला भी थी जो के 8 महीनों की गर्भवती थी| बता दें के इनका यह सफर सतना तक का था|
ऐसे में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बॉर्डर पर रहने वाले थाना प्रभारी की नजर इनके उपर पड़ी| जिसके बाद बातचीत करने पर उन्हें इनका दर्द समझ आया जिसके बाद अपने उच्च अधिकारीयों से बात कर थाना प्रभारी ने इन्हें क्वारंटाइन सेंटर ले गये| और इस सब के थोड़े वक्त बाद इन महिलाओं को शासकीय अस्पताल, सेंधवा में दिखाया गया|
बता दें के गर्भवती महिला के पति राकेश नें बताया के वो सभी नासिक से लगभग 30 किलोमीटर दूर रहते थे| और वहा से ये कभी पैदल तो कभी रास्ते में कोई वाहन मिला तो उससे अपना सफर जारी रखे हुए थे| साथ ही इन्होने बताया के इनके साथ इनकी पत्नी शकुंतला और इनके बच्चे भी इस मुस्किल घडी में सबके साथ पैदल ही यह सफर तय कर रहे थे| और अब जब उन्हें प्रसव पीड़ा उठी तो डिलीवरी कराने के लिए इन्हें अपना सफर बीच में ही रोकना पड़ा|
विश्वदीप परिहार जो के सेंधवा ग्रामीण क्षेत्र के थाना प्रभारी हैं| उन्होंने बाते के ये सभी लोग सतना जिले के उपचारया गाव के निवासी है जो शेहर में मजदूरी किया करते थे| ये कुल 15 से 16 मजदूर थे और इनके संग 8-9 बच्चे भी थे| और इन्ही में शामिल थे राकेश और उनकी पत्नी शकुंतला| हालाँकि सबकुछ सकुशल हो गया है| बात दें के पुलिस को आता देख ये लोग भागने लगे जिसपर उन्हें रोककर उनकी मदद की गयी|