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पैदल स्कूल-कॉलेज जाती थीं गांव की लड़कियां, डॉक्टर ने PF के पैसों से उनके लिए खरीदी बस, पेश की मिसाल

देश दुनिया में कई प्रकार की समस्याएं देखने को मिलती है परंतु ऐसा नहीं है कि इन समस्याओं के समाधान के लिए कोई भी व्यक्ति सामने नहीं आया है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो रोजाना ही किसी ना किसी जरूरतमंद की सहायता करते रहते हैं और लोगों की समस्याओं का हल निकालने की कोशिश में लगे हुए हैं। इस दुनिया में ऐसे भी लोग रहते हैं जो रोजाना ही किसी ना किसी की मदद करते हैं, जब तक यह किसी की मदद नहीं कर देते तब तक इनको चैन नहीं मिलता है।

आजकल के समय में ऐसे बहुत से लोग हैं जो पैसे को सबसे बढ़कर मानते हैं परंतु इंसानियत सबसे बड़ी होती है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने जीवन की जमा पूंजी लुटा कर खुशी और सुकून खरीद रहे हैं। आज हम आपको राजस्थान के एक डॉक्टर की कहानी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिन्होंने इंसानियत की मिसाल पेश की है। अगर आप इनकी कहानी जानेंगे तो आप खुद भी तारीफ करेंगे।

हम आपको जिस डॉक्टर की कहानी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं वह राजस्थान के नीम का थान स्थित एक अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर के तौर पर कार्यरत हैं जिनका नाम आर.पी. यादव है और उनकी उम्र 61 साल की है। सोशल मीडिया पर डॉक्टर आर.पी. यादव के काम की चर्चा लोग खूब कर रहे हैं और लाखों लोग उन्हें दुआएं दे रहे हैं। आपको बता दें कि यह कहानी मौजूदा समय की नहीं है बल्कि साल 2016 की है। इस कहानी ने साल 2017 में खूब सुर्खियां बटोरी थी। अब आईपीएस ऑफिसर अवनीश शरण ने इस कहानी को एक बार फिर से अपने ट्विटर अकाउंट पर 11 मार्च को शेयर किया है, जिसके बाद इस पोस्ट पर लगातार लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है

आईपीएस ऑफिसर अवनीश शरण में इस कहानी को ट्विटर अकाउंट पर शेयर करते हुए यह लिखा है कि “कोटपुतली राजस्थान के 61 वर्षीय डॉक्टर आर.पी. यादव ने महसूस किया कि उनके गांव और आस-पास की लड़कियों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के अभाव में कई किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल कॉलेज जाना पड़ता था। यह देखकर उन्होंने प्रोविडेंट फंड से 19 लाख रूपए निकाले और लड़कियों को उनकी खुद की एक बस खरीदी।” इस पोस्ट पर लगातार लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है। सभी लोग डॉक्टर साहब की खूब तारीफ कर रहे हैं।

आपको बता दें कि डॉक्टर साहब एक बार अपनी पत्नी के साथ कार में अपने घर जा रहे थे तो रास्ते में उन्हें कुछ लड़कियां पैदल जाती हुई नजर आईं। वह लड़कियां पैदल ही अपने कॉलेज की तरफ जा रही थीं। तब डॉक्टर साहब ने उन बच्चियों को लिफ्ट दी। इसी दौरान रास्ते में बातचीत करते समय लड़कियों ने डॉक्टर साहब को बताया कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट ना होने की वजह से उनको रोजाना ही कई किलोमीटर पैदल चलकर गांव से अपने कॉलेज और कॉलेज से अपने गांव आना पड़ता है। रास्ते में उन्हें बहुत सी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। कई मनचले उनको छेड़ते भी है।

डॉक्टर साहब ने जब लड़कियों की बात सुनी तो वह काफी दुखी हुए और उन्होंने इन बच्चियों के लिए कोई ठोस कदम उठाने का फैसला लिया। उसके बाद उन्होंने अपने प्रोविडेंट फंड से 19 लाख रूपए निकालकर गणतंत्र दिवस के मौके पर बच्चियों को एक 52 सीटर बस उपहार में दी। डॉक्टर साहब ने इस बस का नाम नि:शुल्क वाहन सेवा रखा है।

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