कोरोना काल में गरीबों का पेट भरने के लिए ये शख्स चला रहा Rice ATM, अब तक कर चुका ₹50 लाख खर्च
कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉक डाउन की वजह से बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए। लॉक डाउन के कारण लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ गया, जिसके बाद लोगों के समक्ष आर्थिक परेशानी खड़ी हो गई। लोगो के कोई भी काम धंधा ना होने के कारण खानपान का संकट उत्पन्न होने लगा। करोना काल में लोग दो वक्त की रोटी के लिए भी जूझने लगे। लेकिन ऐसा नहीं है कि संकट की इस घड़ी में कोई भी जरूरतमंदों की सहायता के लिए सामने नहीं आया हो। ऐसे बहुत से नेक दिल इंसान हैं, जिन्होंने मुसीबत में जरूरतमंदों की सहायता की है। इन्हीं नेक दिल इंसानों में से एक हैदराबाद के रहने वाले रामू दोसापति हैं। जो गरीबों का पेट भरने के लिए राइस एटीएम (Rice ATM) चला रहे हैं। खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि रामू दोसापति का राइस एटीएम 24 घंटे खुला रहता है।
आपको बता दें कि रामू दोसापति एक कॉर्पोरेट फर्म में एचआर एग्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने लॉकडाउन के दौरान अप्रैल में राइस एटीएम शुरू किया था। यह अपना एटीएम 24 घंटे चलाते हैं। रामू गरीब और जरूरतमंदों को राशन मुहैया करा रहे हैं। बातचीत के दौरान रामू ने यह बताया है कि उन्होंने राइस एटीएम चलाने के लिए अब तक अपनी जेब से 50 लाख रूपए खर्च कर दिए हैं और उनको इसे वापस पाने की कोई भी लालसा नहीं है। यह नि:स्वार्थ भाव से जरूरतमंद लोगों की सहायता में जुटे हुए हैं। इनका यही मकसद है कि कोई भी गरीब भूखा व्यक्ति भोजन के अभाव में भूखा पेट ना सोए, जिसके चलते उन्होंने यह नेक कदम उठाया है।
रामू दोसापति को इस तरह आया राइस एटीएम का आईडिया
रामू ने यह बताया है कि जब कोरोना वायरस की वजह से देश भर में लॉक डाउन लग गया था तब उस दौरान उनके छोटे बेटे का जन्मदिन था। अपने जन्मदिन पर बेटे ने चिकन खाने के लिए कहा था। तब रामू अपने बेटे के लिए चिकन खरीदने के लिए बाहर गए। जब रामू चिकन लेने के लिए दुकान पर खड़े थे तब उन्होंने देखा कि एक सिक्योरिटी गार्ड 2000 रुपये का चिकन खरीद रहा है। तब रामू ने उस सिक्योरिटी गार्ड से पूछ लिया कि इतना सारा चिकन क्यों खरीद रहे हो? तब सिक्योरिटी गार्ड ने रामू को बताया कि वह प्रवासी मजदूरों के लिए चिकन खरीद रहे हैं।
सिक्योरिटी गार्ड ने जब रामू को यह बताया कि वह यह सारा चिकन प्रवासी मजदूरों के लिए खरीद रहे हैं तब इसके बाद रामू ने सिक्योरिटी गार्ड की सैलरी पूछी, तो सिक्योरिटी गार्ड ने बताया कि उसकी सैलरी ₹6000 रुपये है। इसके बाद रामू को यह लगा कि जब 6000 रुपये सैलरी पाने वाला जरूरतमंदों के लिए ₹2000 रुपये खर्च कर सकता है तो मैं भी ऐसा क्यों नहीं कर सकता हूं।
प्रवासियों की सहायता का किया फैसला
रामू दोसापति सिक्योरिटी गार्ड के इस कदम से बेहद प्रभावित हो गए। उसके बाद रामू सिक्योरिटी गार्ड के साथ उस जगह पर गए जहां पर प्रवासी मजदूर थे। जब रामू वहां पर पहुंचे तो उन्होंने 192 लोगों की सूची बनाई, जिन्हें राशन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आवश्यकता थी। वह प्रवासी लोग 400-500 किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर अपने घर वापस जाना चाहते थे। तब रामू ने उन्हें बोला कि मैं आपकी सहायता करूंगा। उनको रुकने के लिए कहा।
रामू दोसापति ने शुरू किया राइस एटीएम
रामू दोसापति ने राइस एटीएम खोलने का फैसला ले लिया, अपनी बचत की गई धनराशि से उन्होंने 1.5 लाख रुपये खर्च करके राशन बांटा। लोगों को धीरे-धीरे रामू के राइस एटीएम के बारे में पता लगा तो वहां पर अधिक संख्या में लोग पहुंचने लगे। कुछ ही दिनों में बचत की गई धनराशि खत्म हो गई थी।