भारत-पाक युद्ध में हीरो रहे रिटायर्ड कमांडर ने 68 वर्ष बाद भारत लौट कर चुकाई 28 रूपये की उधारी, जानिए इनकी कहानी
हमारे भारत देश की भूमि ना जाने कितने ही सुनहरी लम्हों को अपने आप में संजोए हुए हैं ऐसे में जैसे ही समय बिता चला जाता है वैसे ही हमारे रोजमर्रा के कई काम पीछे छूट जाते हैं. दरअसल इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर आगे बढ़ने के चक्कर में पुराने सभी बातों को पीछे छोड़ जाते हैं और उन रास्तों पर कभी नहीं लौट पाते हैं जिन्हें हम पीछे छोड़ आते हैं. लेकिन यकीन मानिए कभी आपको उन खूबसूरत यादों को जीने का एक बार मौका मिले तो उन्हें जीने से कभी परहेज ना करें इससे ना केवल आपकी नई यादें बनेंगी बल्कि आपके पुराने हिसाब भी चुकता हो जाएंगे. हरियाणा के हिसार से कुछ ऐसी ही एक मजेदार खबर सामने आई है जहां पर सेना के रिटायर्ड कमांडर अफसर ने आखिरकार 68 साल पुरानी अपनी उधारी अब जाकर चुका दी है. आइए बताते हैं आपको इस कमांडर के बारे में विस्तार से…
दरअसल यह रिटायर्ड कमांडर कोई और नहीं बल्कि नौसेना के बीएस उप्पल है जो कि पिछले कईं सालों से अमरीका में बसे हुए हैं. 85 वर्षीय नौसेना कमांडर बीएस उपल रिटायरमेंट के बाद अब अपने बेटे के पास ही अमेरिका में रहते हैं ऐसे में उनका काफी समय से भारत आना नहीं हो पाया था लेकिन अब जब वह हिसार वापस लौटे हैं तो यहां पर पहुंच कर उन्होंने सबसे पहले मोती बाजार स्थित ‘दिल्ली वाला हलवाई’ की दुकान पर जाना मुमकिन समझा. इस दुकान में जाने का उनका एक खास रीज़न था जिसके बारे में जानकर अब हर कोई हैरान हो रहा है.
असल में हलवाई की दुकान को विनय बंसल संभाल रहे हैं जो कि उनके दादाजी शंभू दयाल बंसल ने कभी शुरू की थी. उन दिनों में बीएस जब स्कूल में पढ़ते थे और इसी दुकान पर खड़े होकर दही बड़े खाया करते थे. दुकानदार विनय को रिटायर्ड अफसर ने बताया कि 1956 में शंभू दयाल बंसल से उन्होंने ₹28 की उधारी की थी और लस्सी व पेड़े का यह बकाया अब तक उन्हें देना बाकी था. उन्होंने बताया कि उस दौरान की नौसेना में भर्ती हो गई थी और वह शहर चले गए थे ऐसे में उनका ही सहारा ना कभी नहीं मुमकिन हो पाया लेकिन अब जब वह से लौटे हैं तो सबसे पहले उन्होंने यह उधार चुकता करने के बारे में विचार बनाया.
उधारी चुका कर मिला सुकून
एक इंटरव्यू के दौरान उपल साहब ने बताया कि हिसार की यादें हमेशा से उनके जहन में बसी हुई थी जब भी अमेरिका में उन्हें भारत याद आता तो सबसे पहले उन्हें ₹28 वाली उधारी याद आती थी और दूसरा अपना हरजीराम हिंदू हाई स्कूल जहां पर उन्होंने दसवीं पास की थी. उन्होंने बताया कि जब विनय बंसल को उन्होंने हाथ में 10,000 रुपये की राशि दी तो उन्होंने लेने से मना कर दिया था लेकिन जब उप्पल जी ने उन से विनती की और कहा कि उन्हें ऋण मुक्त कर दें तब जाकर विनय ने वह पैसे स्वीकार किए. इसके बाद उप्पल जी अपने पुराने स्कूल पहुंचे जो कि अब बंद पड़ चुका है ऐसे में वह स्कूल को देखकर निराश होकर वापस लौटे.
भारत पाकिस्तान युद्ध में रहे हैं हीरो
जानकारी के लिए बता दें कि बीएस उप्पल ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी क्योंकि वह उन दिनों में पनडुब्बी के कमांडर के तौर पर तैनात थे. युद्ध के समय उन्होंने पाकिस्तान के जहाज को डुबो दिया था जिसके बाद वह अपने 9 सैनिकों को सुरक्षित वापस लेकर आए थे ऐसे में उन्हें भारतीय सेना द्वारा बहादुरी के लिए नौसेना पुरस्कार भी दिया गया था.