भगवान शिव जी को सावन का महीना अति प्रिय है। बहुत ही जल्द सावन का महीना शुरू होने जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास 25 जुलाई 2021 से शुरू होगा। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जी की कृपा पाने के लिए यह महीना बेहद शुभ माना जाता है। अगर इस महीने में भगवान शिव जी का गंगाजल से अभिषेक और विधि-विधान पूर्वक पूजा की जाए तो इससे व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं मेरी होती हैं। सावन के महीने में भगवान शिव जी की पूजा के दौरान लोग बहुत सी चीजें अर्पित करते हैं। उन्ही चीजों में से एक बेलपत्र भी शामिल है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बेलपत्र भगवान शिव जी को अति प्रिय है। बेलपत्र की उत्पत्ति के संबंध में स्कंद पुराण में एक कथा है कि एक बार देवी पार्वती ने अपने ललाट से पसीना पोंछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदे मदार पर्वत पर गिरी थीं, जिससे बेल वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पतियों में पार्वती, फूलों में गौरी का वास माना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि इसी वजह से भगवान शिवजी को बेलपत्र अति प्रिय है। अगर आप भगवान शिव जी की पूजा के दौरान बेलपत्र अर्पित कर रहे हैं तो कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
भगवान शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने से पहले जान लें नियम
1. अगर आप भगवान शिव जी की पूजा में बेलपत्र अर्पित कर रहे हैं तो उस दौरान सबसे पहले आपको बेलपत्र की दिशा का ध्यान रखना आवश्यक होता है। आप भगवान शिव जी को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र अर्पित कीजिए।
2. भगवान शिवजी को बेलपत्र जब अर्पित कर रहे हैं तो उस समय के दौरान आप इस बात का ध्यान रखें कि अनामिका, अंगूठे और मध्यमा उंगली की सहायता से ही हमेशा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए। भगवान शिवजी को बेलपत्र अर्पित करने के साथ-साथ जल की धारा अवश्य चढ़ाएं।
3. अगर आप भगवान शिव जी की पूजा में बेलपत्र अर्पित कर रहे हैं तो तीन पत्तियों वाला बेलपत्र बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर आप तीन पत्तियों वाला गुच्छा बेलपत्र का अर्पित करते हैं तो उससे भगवान शिव जी प्रसन्न होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसके मूल विभाग में सभी तीर्थों का वास होता है। बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिवजी को अर्पित की जाती है। इसके अलावा आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि बेलपत्र की पत्तियां कटी फटी नहीं होनी चाहिए।
4. शास्त्रों में कुछ तिथियों को बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना गया है। जैसे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र भूलकर भी ना तोड़े। ऐसे में पूजा से एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़ कर रख लीजिए।
5. आपको बता दें कि बेलपत्र कभी भी अशुद्ध नहीं होता है। आप पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर अर्पित कर सकते हैं।
उपरोक्त आपको भगवान शिव जी को बेलपत्र चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में जानकारी दी गई है। अगर आप इन नियमों का ध्यान रखते हैं तो इससे आपको अपनी पूजा का पूर्ण फल मिलेगा और भगवान भोलेनाथ की कृपा से आपके जीवन की परेशानियां दूर होंगी।