7 पीढ़ी व 34 पड़ पोते देखने के बाद रूपा देवी का 105 साल की उम्र में हुआ निधन ,अंतिम यात्रा में इस वजह से बजाये गये लता दीदी के गाने
राजस्थान अलवर जिले के मालाखेड़ा इलाके के पृथ्वीपुरा गांव में एक बुजुर्ग महिला के निधन के बाद उन्हें बेहद ही खास अंदाज में अंतिम विदाई दी गई है जिसके बाद हर तरफ उनके अंतिम विदाई की ही चर्चाएं चल रही है| दरअसल इस बुजुर्ग महिला के गुजर जाने के बाद उनके परिवार वालों ने अंतिम विदाई में मातमी धुन के बजाय लीजेंडरी सिंगर लता मंगेशकर के सुपरहिट गाने बजाए और बेहद ही धूमधाम से बुजुर्ग महिला की अंतिम यात्रा निकाली गई और इस बुजुर्ग महिला के अंतिम विदाई की ढेरों तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी काफी तेजी से वायरल हो रहे हैं|
बता दें राजस्थान के अलवर जिले के पृथ्वीपुरा गांव की रहने वाली रूपा देवी 105 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गई और उनकी अंतिम विदाई बेहद ही खास तरीके से किया गया है जिसकी वजह से रूपा देवी की अंतिम विदाई चर्चाएं इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर चल रही है| बता दे पृथ्वीपुरा गांव की रहने वाली रूपा देवी के गुजर जाने के बाद उनकी अर्थी को गुब्बारे और फूलों से सजाया गया इतना ही नहीं रूपा देवी के अंतिम यात्रा में लता मंगेशकर जी के कई फिल्मी गाने भी बजाए गए|
खबरों के मुताबिक पृथ्वीपुरा गांव में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी के अंतिम यात्रा में गांव की महिलाएं भी शामिल हुई है | रूपा देवी के परिजनों का कहना है कि रूपा देवी लता मंगेशकर जी के गानों की बहुत बड़ी फैन थी और उन्होंने बताया कि उनकी दादी उसी दौर के गाने सबसे ज्यादा सुनना पसंद करती थी और जब उन्हें लता मंगेशकर जी के इस दुनिया को अलविदा कह जाने की खबर मिली तो इससे वह काफी ज्यादा आहत हुई थी|
जानकारी के मुताबिक रूपा देवी का निधन बीते मंगलवार को हुआ था और उनके सभी बेटे और पोते ने ये सोचा की उन्हें अंतिम विदाई बेहद ही खास तरीके से दी जाए और ऐसे में रूपा देवी लता मंगेशकर जी के गानों की बहुत बड़ी फैन थी और इसी वजह से रूपा देवी के परिवार वालों ने गांव वालों से बातचीत करके यह फैसला किया कि उनके अंतिम यात्रा के दौरान कोई भी मातम गीत नहीं बल्कि लता मंगेशकर जी के गाने ही बजाए जाएंगे और सभी इस बात के लिए राजी हो गए|
जिसके बाद रूपा देवी के अर्थी को फूलों और गुब्बारों से सजाया गया और उनकी अंतिम यात्रा बैंड बाजे के साथ निकली जिसमें लता दीदी के ‘ ऐ मेरे वतन के लोगों और हम छोड़ चले हैं महफिल’ जैसे कई सुपरहिट गाने बजाए गए और इन दिनों रूपा देवी की अंतिम यात्रा की ढेरों तस्वीरें सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से वायरल हो रही है और हर तरफ इस अनोखे अंतिम यात्रा की चर्चाएं चल रही है|
शवयात्रा में महिलाएं भी हुईं शामिल
रूपा देवी के परिजनों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि उनकी दादी की उम्र 105 साल थी और उम्र के इस पड़ाव पर आने के बावजूद भी उन्हें किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं थी हालांकि निधन से 1 दिन पहले उन्होंने खाना-पीना त्याग दिया था जिसके चलते उनकी तबीयत भी बिगड़ने लगी थी और फिर उन्होंने 105 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली और इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गई|वही रूपा देवी के बारे में गांव वालों का कहना है कि रूपा देवी अपने सभी काम स्वयं करती थी और वह बहुत दानी स्वभाव की थी और हमेशा अपने बच्चों को यही सिखाती थी कि एक साथ मिलजुल कर ही रहना और हमेशा ही वह जरूरतमंदो की मदद के लिए खड़ी रहती थी|
गौरतलब है कि रूपा देवी अपनी जिंदगी में अपनी सात पीढ़ियों को बड़े होते देखा और उनके परिजनों ने बताया है की उनके 4 बेटे है और 17 पोते, 34 पड़ पोते, 6 सड़ पोते हैं।रूपा देवी के परिवार में कुल 105 सदस्य है और उनके सबसे बदे बेटे की उम्र 80 साल है और बाकि तीन बेटे की भी उम्र 70 से अधिक है |