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घर में 23 साल बाद जन्मी बेटी तो खुशी से झूम उठा परिवार, फूलों और गाजे-बाजे के साथ हुआ नन्हीं परी का स्वागत, देखें तस्वीरें

आजकल के समय में बेटा और बेटी में कोई भी फर्क नहीं है। बेटियां भगवान का दिया गया एक ऐसा तोहफा हैं, जो हर किसी को नहीं मिलती हैं। बेटियों को घर की लक्ष्मी कहा जाता है। जिस घर में बेटियां होती हैं, उस घर में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। बेटी एक साथ कई जिम्मेदारियों को बखूबी तरीके से संभाल लेती है परंतु कहीं ना कहीं मौजूदा समय में भी बेटियों के प्रति समाज में रूढ़िवादी सोच हावी हो रही है। आज भी जब बेटी का जन्म होता है तो कुछ लोग दुखी हो जाते हैं।

लेकिन वक्त के साथ-साथ अब लोगों की सोच बदल रही है। बेटी के जन्म पर लोग खूब जश्न मनाते हैं। इसी बीच आज हम आपको सागर, मध्य प्रदेश से सामने आए एक मामले के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर एक घर में जब 23 साल बाद बेटी का जन्म हुआ तो खुशी से परिवार झूम उठा। परिवार ने फूलों, गाजे-बाजे, ढोल-धमाके के साथ नन्ही परी का स्वागत किया। बेटी के घर आते ही गाजे-बाजे की धुन पर ना सिर्फ परिवार बल्कि पूरा गांव झूम रहा था।

बेटी का हुआ जन्म तो घरवालों ने मनाया जश्न

दरअसल, आज हम आपको जिस मामले के बारे में बता रहे हैं यह मध्य प्रदेश के जिला सागर से सामने आया है। यहां पर एक घर में 23 साल बाद बेटी ने जन्म लिया। जैसे ही यह खुशखबरी मिली तो घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

परिवार वाले खुशी से झूम उठे। ढोल नगाड़े बजाए गए…मिठाई बांटी गई…बधाई गीत हुए…आतिशबाजी की गई, पुष्प वर्षा भी हुई।

बेटी के जन्म से पूरा परिवार ही झूम उठा। बेटी के स्वागत के लिए आतुर परिवार के लोग घर के दरवाजे पर घंटों खड़े रहे।नन्ही सी मासूम जब पहली बार अस्पताल से अपने घर में दस्तक दी तो आरती उतार कर उसका स्वागत किया गया। महावर लगाया, गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश की गई।

3 दिन पहले बेटी का जन्म

आपको बता दें कि सागर के जैसीनगर के सागोनी पुरैना में 3 दिन पहले तरुण और वैशाली के घर नन्ही परी का जन्म हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तरुण और वैशाली बेटी के जन्म से बहुत ज्यादा खुश हैं। तरुण के पिता और नवजात के दादा रविंद्र सिंह ने कहा कि देश में आज भी बेटियों को बेटो जैसा सम्मान नहीं दिया जाता। बेटी के जन्म पर लोग वैसे खुशियां नहीं मनाते जैसा बेटे के जन्म पर मनाते हैं। बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं हैं। रविंद्र सिंह ने कहा कि उनके घर पर 23 साल बाद लक्ष्मी आई है।

जब तरुण और वैशाली पहली बार बेटी को लेकर घर पहुंचे तो घर का नजारा देखने लायक था। हर कोई नन्हीं परी को गोद में लेने के लिए आतुर था। घरवालों का कहना है कि नवरात्रि के दौरान बेटी ने जन्म लिया है। उनके घर तो वह साक्षात देवी ही है इसलिए घरवालों ने पूजा अर्चना के साथ बेटी का घर में स्वागत किया। बता दें कि 21वीं सदी में बहुत से परिवार बेटियों को बोझ मानते हैं। यह उम्मीद रखते हैं कि उनको बेटा ही हो। लेकिन ऐसी सोच वालों के लिए यह परिवार मिसाल है।

 

 

 

 

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