Saphala Ekadashi 2021: जानिए कब है सफला एकादशी, इस व्रत को करने से मनोकामनाएं होती हैं सफल
धार्मिक मान्यता के अनुसार सफला एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि जो व्यक्ति सफला एकादशी का व्रत करता है उसकी सारी मनोकामनाएं सफल हो जाती हैं। इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति के मन की मुराद जल्द पूरी होने की मान्यता है। आपको बता दें कि पौष मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहा जाता है। सफला एकादशी का व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी के लिए रखा जाता है। इस दिन अगर विधि-विधान पूर्वक विष्णु जी की आराधना की जाए तो इससे जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से सफला एकादशी तिथि, व्रत विधि, शुभ मुहूर्त और इसके महत्व के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
सफला एकादशी 2021 तिथि | Saphala Ekadashi 2021 Date
हिंदू पंचांग के अनुसार देखा जाए तो हर वर्ष पौष माह कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी का व्रत किया जाता है। इस वर्ष 2021 में सफला एकादशी व्रत 9 जनवरी को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु जी की आराधना की जाती है।
सफला एकादशी मुहूर्त | Saphala Ekadashi Muhurat
सफला एकादशी तिथि की शुरुआत 8 जनवरी 2021 की रात्रि 9:00 बजकर 40 मिनट से है और एकादशी तिथि की समाप्ति 9 जनवरी 2021 की शाम 7:17 बजे पर है।
सफला एकादशी व्रत विधि | Saphala Ekadashi Vrat Vidhi
- जो व्यक्ति सफला एकादशी का व्रत कर रहे हैं वह इस दिन सूर्य उदय से पहले स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें।
- इसके बाद आपको व्रत-पूजन का संकल्प लेना होगा।
- प्रातः काल भगवान अच्युत की पूजा अर्चना कीजिए।
- भगवान की पूजा के दौरान धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि चीजें अर्पित कीजिए।
- भगवान की पूजा में आप नारियल, सुपारी, आंवला, अनार और लौंग आदि अर्पित कीजिए।
- रात के समय नहीं सोना चाहिए बल्कि रात को श्री हरि के नाम का भजन करना चाहिए।
- आप अगले दिन द्वादशी पर अपना व्रत खोल सकते हैं।
- अगर आप गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं और उन्हें दान दक्षिणा देते हैं तो इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
जानिए सफला एकादशी का महत्व
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सफला एकादशी व्रत का बहुत महत्व माना गया है। पद्म पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि सफला एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पद्म पुराण के अनुसार स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को यह बताया है कि सफला एकादशी व्रत के देवता श्री नारायण है जो व्यक्ति सफला एकादशी के दिन व्रत रखता है और भगवान विष्णु जी की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है और रात्रि के समय जागरण करता है, ईश्वर का ध्यान और श्रीहरि के अवतार एवं उनकी लीला कथाओं का पाठ करता है उसको अपने व्रत का पूरा-पूरा फल मिलता है। यह सभी कार्य करने वाले व्यक्ति का व्रत सफल हो जाता है।
जो व्यक्ति इस प्रकार सफला एकादशी का व्रत करता है उसके ऊपर भगवान प्रसन्न रहते हैं और जीवन के सभी दु:खों से छुटकारा दिलाते हैं। भगवान की कृपा से व्यक्ति अपना जीवन सुखी पूर्वक व्यतीत करता है। सफला एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति मृत्यु के पश्चात सद्गति को प्राप्त हो जाता है।