मध्य प्रदेश के दिल ग्वालियर शहर में बसने वाला शाही महल जय विलास पैलेस प्राचीन यूरोपीय कला का अद्भुत नमुना है. यह रोयल पैलेस को कई तरह की भवन निर्माण शैलियों से बनाया गया जिसमें तुस्कान, इटेलियन और कोरींथीयान शैली शामिल है. दरअसल यह शाही विलास सिंधिया परिवार से संबंधित है. जो की हिन्दू मराठा वंश का हिस्सा रहे है. ग्वालियर में इनका शासन हुआ करता था. आपको बता दें कि यह विला लगभग 12,40,771 वर्ग फुट में फैला है. यह शाही महल 3 मंजिल का बना हुआ है और फिलहाल यह सिंधिया परिवार का निवास भी है. इसके एक हिस्से को आम जनता के देखने के लिए भी रखा गया है. इसके साथ ही इस जय विलास पैलेस का एक बेहतरीन इतिहास भी है. चलिए आपको बताते हैं ज्योतिर्दित्या सिंधिया के 4000 करोड़ के जय विलास पैलेस के बारे में.
जय विलास पैलेस: ज्योतिरादित्य सिंधिया की विरासत
आपको बता दें कि ग्वालियर में जय विलास पैलेस 19 वीं शताब्दी में बनाया गया, यह शाही महल, जीवाजीराव सिंधिया के पोते, ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया का निवास और विरासत है. ग्वालियर के पूर्व राजवंश में जन्मे सिंधिया भी भारतीय राजनीति में सक्रिय है.
इसे क्यों बनाया गया था?
वहीं आउटलुक इंडिया के मुताबिक, 1876 में भारत आए प्रिंस जॉर्ज और वेल्स की राजकुमारी मैरी के स्वागत के लिए राजसी महल का निर्माण किया गया था.
आठ हाथियों को छत पर ले जाया गया था
दरअसल जय विलास पैलेस विभिन्न विषयों को ध्यान में रखते हुए बना. महल की पहली मंजिल टस्कन, दूसरी – इटालियन-डोरिक है, और तीसरी कोरिंथियन और पीडियन की डिजाइन से प्रेरित है. इनक्रेडिबल इंडिया टूरिज्म की जानकारी के मुताबिक, जब महल बनाया जा रहा था, दरबार हॉल की छत पर आठ हाथियों को ले जाया गया था ताकि यह अनुमान लग सके की दो विशालकाय झूमरों का वजन झेल सके जो कि 12.5 मीटर ऊंचा, 3500 किलो वजन 250 बल्ब के थे.
560 किलो सोना
आउटलुक इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जय विलास पैलेस हॉल का इंटीरियर 560 किलोग्राम सोने से सुशोभित है. हॉल का डिज़ाइन नियोक्लासिकल और बारोक शैलियों से प्रभावित है यहां राजा अपनी बैठकें करते थे. बता दें कि जय विलास पैलेस की नींव 1874 में महाराजा जयाजी राव सिंधिया के संरक्षण में रखी गई थी. महल की हवेली को ब्रिटिश लेफ्टिनेंट-कर्नल सर माइकल फिलिप ने डिजाइन किया. बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्टों के मुताबिक, उस समय महल की कीमत 1 करोड़ रुपये थी, जिसकी कीमत आज 4000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है.
अद्वितीय चांदी मॉडल टेबल ट्रैन
वहीं शाही जय विलास पैलेस में डाइनिंग टेबल पर ठोस चांदी से बनी एक मॉडल ट्रेन है. इसकी सवारी का इस्तेमाल मेहमानों के लिए ब्रांडी और सिगार लाने के लिए किया जाता था.
संग्रहालय में दुर्लभ और ऐतिहासिक शाही संग्रह है
जय विलास पैलेस में 400 कमरे हैं. इनमें से 35 को म्यूजियम विंग में बदल दिया गया है. महाराजा जीवाजीराव सिंधिया संग्रहालय श्रीमंत जीवाजीराव सिंधिया की याद में राजमाता श्रीमंत विजयाराजे सिंधिया द्वारा बनाया गया था. संग्रहालय मराठा सिंधिया राजवंश के संग्रह को प्रदर्शित करता है जिसमें चांदी के रथ, पालकी, चांदी की छोटी गाड़ी, पुरानी लक्जरी कारों जैसी महंगी संपत्ति शामिल है. इसमें झाँसी की रानी की मूल ढाल और औरंगज़ेब और शाहजहाँ के शासन की तलवारें भी हैं.
व्यापक पुस्तकालय और आर्ट गैलरी
वहीं जय विलास पैलेस में एक व्यापक पुस्तकालय भी है जिसमें विभिन्न विषयों पर लगभग 5000 पुस्तकें हैं. इसमें चित्रांगदा राजे आर्ट गैलरी भी है, जो आगामी कलाकारों के लिए एक आदर्श स्थान है, और देश के शिल्पकारों को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए अपना काम प्रस्तुत करने के लिए भी स्थान देता है.