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किसान पिता ने दुनिया के ताने सुन-सुनकर बेटी को पढ़ाया-लिखाया, फिर बिटिया ने SDM बन पिता की मेहनत कर दी सफल

हर माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और परवरिश में किसी भी प्रकार की कमी नहीं छोड़ते। हर मां-बाप यही चाहता है कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर अपने जीवन में आगे बढ़े और बड़े होकर अच्छा काम करें। जब किसी घर का बच्चा अफसर बनता है, तो खुशी सभी को होती और जब बच्चे की मेहनत के साथ साथ उसमें माता-पिता की भी मेहनत लगती है, तो यह खुशी और ज्यादा हो जाती है। अपने बच्चों को काबिल बनाने के लिए माता-पिता दिन रात मेहनत करते हैं और जब वही बच्चे सफल हो जाते हैं तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक बेटी और पिता के संघर्ष की कहानी बताने जा रहे हैं। यह कहानी बेटी को पढ़ाने के लिए गांव और समाज से किए गए संघर्ष की है। पिता ने अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए खेती-गृहस्ती की और आज अपनी बेटी को SDM बनाया। जब बेटी मेहनत से SDM बनी, तो उनके किसान पिता को भी बेटी की उपलब्धि पर गर्व हुआ होगा लेकिन अफसोस की बात यह है कि बेटी को गले लगाकर शाबाशी देने के लिए वह जीवित नहीं हैं।

SDM रितु रानी की कहानी

आज हम आपको जिस बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं उनका नाम रितु रानी है, जिनके पिता ने खेती-किसानी से अपनी बेटी को एसडीएम बनाया। बेटी की सफलता से पिता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता, परंतु दुखद बात यह है कि वह पिता जिंदा नहीं थे अपनी बेटी की पीठ थपथपाकर शाबाशी देने के लिए। रितु रानी यूपी के मुजफ्फरनगर से ताल्लुक रखती हैं। रितु रानी के पिताजी का नाम वेद पाल सिंह है। वह चाहते थे कि अपनी बेटी को पढ़ाकर उच्च पोस्ट दें। जब पिता ने अपनी बेटी को शहर पढ़ने के लिए भेजा, तो लोगों ने ताने मारे।

लोगों ने मारे तने

जब उन्होंने अपनी बेटी को शहर भेजा तो उन्हें लोगों ने बहुत कुछ ताने सुनाएं। लोगों ने उन्हें कहा कि जैसे लगता है कि उनकी बेटी कलेक्टर बन जाएगी। लगातार तानों का सिलसिला दिन पर दिन बढ़ता ही चला गया, जब बेटी को कई साल तक कामयाबी ना मिल सकी परंतु उनके पिता ने समाज और हालात की हर चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया और वह अपनी बेटी को हमेशा ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहे।

लेकिन उन ताने मारने वाले लोगों को यह नहीं मालूम था कि यह रितु रानी एक दिन अपनी कामयाबी को हासिल कर लोगों के मुंह पर जोरदार तमाचा जड़ देगी। ऋतु ने यह कामयाबी पाने के लिए अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है। यह मुजफ्फरनगर समेत करोड़ों बेटियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

सपने हुए पूरे लेकिन…

आपको बता दें कि किसान पिता की बेटी रितु के दो भाई भी हैं, वह भी एक किसान हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन रितु पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार थीं। पिता ने जैसे तैसे करके अपनी बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाया। जब रितु ने एमबीए कर लिया तो उनकी जॉब लग गई लेकिन उनके पिता उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने के लिए प्रेरित करते रहे फिर अपनी नौकरी छोड़ सिविल सर्विसेज की तैयारी में रितु जुट गईं। फिर ऋतु के पिता बीमार हो गए। परिवार पिता के इलाज के लिए कर्ज में डूब गया।

दिल्ली जैसे बड़े शहरों में रहकर तैयारी कर पाना ऋतु के लिए काफी मुश्किल भरा रहा था। उन्होंने अपने और पिता के लिए जो सपने देखे थे, उन्हें पूरा करने के लिए ट्यूशन और कोचिंग पढ़ाना भी शुरू कर दिया था। वहीं भाइयों ने भी रितु का पूरा साथ दिया लेकिन अफसोस की बात यह है कि जब रितु ने अपना सपना पूरा कर लिया तो इस दुनिया में उनके पिता नहीं रहे। वह अपनी बेटी को डिप्टी कलेक्टर बनता हुआ ना देख पाए। आपको बता दें कि साल 2017 में ही उनके पिता का निधन हो गया था। रितु UPSC 2019 में 34वीं रैंक हासिल कर डिप्टी कलेक्टर बन गईं।

 

 

 

 

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