इंसान अपने जीवन में एक बड़ा मुकाम हासिल करना चाहता है। हर कोई यही चाहता है कि वह अपने जीवन में बड़ी कामयाबी हासिल करे, परंतु सोचने मात्र से ही कामयाबी नहीं मिलती है। इसके लिए जीवन में बहुत मेहनत और कठिन संघर्ष करना पड़ता है। कामयाबी के मार्ग में बहुत सी बाधाएं उत्पन्न होती हैं जो इन बाधाओं को पार करते हुए लगातार मेहनत करता रहता है, उसे एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलती है।
कहते हैं कि मुश्किलें इंसान को रोक सकती हैं, लेकिन तोड़ नहीं सकती। आज हम आपको बाड़मेर के रहने वाली हेमलता के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कामयाबी पर हर कोई खुश है। बाड़मेर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रही एक बेटी ने अपनी मेहनत से अपने कंधों पर ना सिर्फ खाकी वर्दी पहनने का गौरव हासिल किया बल्कि दो सितारे भी लगाए।
बात दें हेमलता अपने आसपास के इलाके की पहली सब इंस्पेक्टर बनी हैं। जब पुलिस अफसर बनने के बाद पहली बार हेमलता अपने घर आईं, तो उसे कंधे पर उठाकर पूरा गांव घुमाया गया। इतना ही नहीं बल्कि घर की औरतों ने मंगल गीत गाकर उसका स्वागत किया। हेमलता के सब इंस्पेक्टर बनने पर पूरा परिवार सहित गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है।
14 किलोमीटर दूर पैदल जाती थीं स्कूल
आपको बता दें कि हेमलता जाखड़ बाड़मेर जनपद के छोटे से गांव सरणू की हैं। हेमलता के पिता दुर्गा राम जाखड़ एक किसान हैं। वह एक सामान्य किसान परिवार से नाता रखती हैं। हेमलता जाखड़ के पिता दुर्गा राम जाखड़ को आज अपनी बेटी पर गर्व है। हेमलता ने अपनी आठवीं तक की पढ़ाई राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल सरनुचिमनजी से पूरी की है। वहीं 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सरनु से की।
हेमलता रोजाना 14 किलोमीटर पैदल सफर तय करके पढ़ाई करने के लिए जाया करती थीं। उन्होंने आगे की पढ़ाई स्वयंपाठी विद्यार्थी के तौर पर की। हेमलता पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती थीं, जिसकी वजह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रहते हुए भी वह अपनी पढ़ाई में जुटी रहीं और उनका चयन राजस्थान पुलिस में बतौर सब-इंस्पेक्टर हुआ है।
सब इंस्पेक्टर के पद पर हुआ चयन
हेमलता कहती हैं कि 2021 परीक्षा में मेरा राजस्थान पुलिस सब इंस्पेक्टर के लिए चयन हुआ। हेमलता का कहना है कि उनके गांव सरनु और सरणू चिमनजी से अभी तक कोई भी पुरुष या महिला सब इंस्पेक्टर नहीं बना है। वह अपने गांव की पहली सब इंस्पेक्टर बनी हैं। हेमलता ने बताया कि उनका बचपन से ही पुलिस में जाने का जुनून था। उन्हें पुलिस की वर्दी से बचपन से ही बहुत प्यार था। इसी वजह से दिन रात एक कर खाकी वर्दी पहने का गौरव हासिल हुआ है।
लेकिन हेमलता के लिए यह कामयाबी पाना इतना आसान नहीं था। इसके लिए उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। हेमलता के माता-पिता को बहुत ताने सुनने को मिले थे। इसके बावजूद भी उसने हिम्मत नहीं हारी और खाकी वर्दी का जुनून पालकर पढ़ाई में जुटी रही। हेमलता ने बताया कि उनकी जिंदगी बहुत उतार-चढ़ाव भरी रही है। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से यह कामयाबी हासिल की है।
हेमलता बताती हैं कि उनको खेल से ही बहुत लगाव रहा है। हेमलता कबड्डी की राज्य स्तरीय खिलाड़ी भी रह चुकी हैं। उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय माता-पिता, दादी, भाई-बहन और पूरे परिवार को दिया है। वहीं हेमलता के पिता दुर्गा राम जाखड़ ने कहा कि बेटी को पढ़ाने के लिए गांव वालों के बहुत से ताने उन्हें सहन करने पड़े। लेकिन उन्हें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था कि एक दिन सफलता जरूर हासिल करेगी। आज उसके सब इंस्पेक्टर बनने पर पूरे परिवार सहित गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है।