गायों के तबेले में गोबर उठाने वाली मुश्किलों को चुनौती देकर बनी जज, माता-पिता का नाम किया रोशन
मनुष्य का यही सपना होता है कि वह सफलता की सीढ़ियां लगातार चढ़ता रहे। हर किसी मनुष्य का अपना एक लक्ष्य होता है, जिसको पाने की उम्मीद में इंसान मेहनत करता रहता है लेकिन लक्ष्य के मार्ग में बहुत सी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं। संघर्ष भरी जिंदगी में लाखों चुनौतियों के बीच अगर कोई अपनी कड़ी मेहनत और लगन से कोशिश करता है तो वह सफलता हासिल जरूर करता है। कुछ ऐसा ही राजस्थान की लेकसिटी उदयपुर जिला मुख्यालय पर प्रताप नगर में दूध की डेयरी चलाने वाली एक युवती ने ऐसा कर दिखाया है। आपको बता दें कि गायों के तबेले में गोबर उठाने वाली सोनल शर्मा जज बनी हैं।
गायों के तबेले में उठाया गोबर, पीपो का टेबल बनाकर की पढ़ाई
आपको बता दें कि उदयपुर के प्रताप नगर इलाके में रहने वाली 26 वर्ष की सोनल शर्मा ने आरजेएस एग्जाम (RJS exam) में सफलता हासिल की है। अपनी इस कामयाबी से इन्होंने अपने माता-पिता का ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है। बातचीत के दौरान सोनल शर्मा ने बताया था कि वह अपने पिता के साथ डेयरी के काम में हाथ बंटाती थीं, इतना ही नहीं बल्कि गायों के तबेले में वह गोबर भी उठाया करती थीं। गायों के तबेले में ही खाली पीपो का टेबल बनाकर वह अपनी पढ़ाई किया करती थीं।
सोनल शर्मा ख्यालीलाल शर्मा की बेटी हैं। सोनल शर्मा का ऐसा बताना है कि उनकी इस सफलता का सबसे बड़ा कारण उनके पिताजी हैं। जिन्होंने हर परिस्थिति में उनका साथ दिया था। उन्हीं से सोनल को प्रेरणा मिली। छोटी उम्र से ही सोनल अपने पिता का काम में साथ देती थीं। दूध निकालना, गायों के तबेले की साफ सफाई करना, गोबर उठाना आदि जैसे कार्य में सोनल अपने पिता का सहयोग करती थी। सोनल शर्मा पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं। अपनी कड़ी मेहनत और मुश्किल परिस्थितियों को पार करते हुए इन्होंने सफलता पाई।
सोनल शर्मा की शिक्षा और उपलब्धियों के बारे में
सोनल शर्मा एलएलबी में प्रदेश टॉपर रही हैं। सोनल को महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल भामाशाह अवार्ड भी मिल चुका है। आपको बता दें कि आरजेएस की परीक्षा आने से एक दिन पहले ही सोनल ने उदयपुर के सुखाडिया विवि के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया था, उसमें दो गोल्ड समेत तीन मेडल हासिल किए थे। यह चांसलर मेडल भी प्राप्त कर चुकी हैं।
लक्ष्य प्राप्त करने के लिए किया संघर्ष
बता दें कि जब सोनल ने बीए एलएलबी में एडमिशन लिया तो वहां पर आने वाले जजों को देखकर उनको जज बनने की प्रेरणा मिली थी। उसके बाद ही उन्होंने ठान लिया कि वह जज बनेंगी। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वो कोचिंग कर पाएं, इसके बावजूद भी इन्होंने खुद की मेहनत और लगन से अपना लक्ष्य हासिल किया।
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
सोनल का ऐसा बताना है कि उन्होंने अपना ख्वाब पूरा करने के लिए खूब मेहनत की। जब सोनल ने पहली परीक्षा दी तो सिर्फ 3 अंकों से उनको असफलता का सामना करना पड़ा था, इसके बावजूद भी उन्होंने अपनी कोशिश लगातार जारी रखी और पूरी मेहनत और लगन से तैयारी में जुट गईं। वर्ष 2018 में परीक्षा के बाद वह एक नंबर से पीछे रह गईं परंतु जब वेटिंग लिस्ट जारी हुई तो उनका चयन हो गया। सोनल की सफलता की वजह से पिता ख्यालीलाल काफी खुश हैं। उनका कहना है कि गायों की सेवा करने का ही फल मिला है