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मां करती हैं सिलाई, कठिनाइयों से लड़कर बेटी बनी ASI तो कामयाबी देख रो पड़े पिता

इंसान अपने जीवन में बहुत कुछ करना चाहता है। हर इंसान यही चाहता है कि उसे कामयाबी मिले। लेकिन सिर्फ सोचने और चाहने से ही कुछ नहीं होता है। सफलता पाने के लिए जीवन में कड़ी मेहनत करने के साथ-साथ बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि हौसला अगर बुलंद हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।

आज हम आपको बलिया की बेटी आकांक्षा चौरसिया की सफलता के की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने जीवन की तमाम कठिनाइयों से लड़ते हुए कामयाबी प्राप्त कर ली है। आकांक्षा चौरसिया का चयन यूपी पुलिस में एएसआई के पद पर हुआ है। आकांक्षा की कामयाबी से पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है।

कठिनाइयों से लड़कर बनी पुलिस ASI

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आकांक्षा चौरसिया बलिया शहर कोतवाली क्षेत्र के अमृतपाली निवासी रामकिशुन चौरसिया की इकलौती पुत्री हैं। आकांक्षा चौरसिया ने एएसआई के पद पर चयनित होकर गांव एवं जनपद का नाम रोशन किया है। आकांक्षा चौरसिया ने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। इसके साथ ही उनकी कामयाबी से पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है। ग्रामीणों ने उनके माता-पिता को ढेर सारी बधाई दी। गांव के बच्चे उनकी कामयाबी को देख प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं।

मां करती हैं सिलाई का काम

आपको बता दें कि आकांक्षा की मां मनोरमा देवी सिलाई का काम करती हैं और उनके पिता सेल्समैन का काम करते हैं। उनके घर की आर्थिक स्थिति ज्यादा ठीक नहीं है, जिसके कारण आकांक्षा अपनी परीक्षा की तैयारी के लिए कहीं बाहर नहीं गई थीं। उन्होंने अपनी तैयारी गांव पर रहकर शहर के द्वारिकापुरी कॉलोनी में स्थित जीनीयस कोचिंग से की थी।

आकांक्षा ने बताया कि वह कभी-कभी एकांत में बैठ कर रोती थीं कि शायद मेरा भी भाई होता तो मेरे पिता को इतना कष्ट नहीं होता। एएसआई बनी आकांक्षा ने बताया कि घर की ऐसी आर्थिक स्थिति और पिता की परेशानियों को देखते हुए उनके लिए पढ़ाई करना और सफलता को पाना बहुत कठिन काम था। वह 6 से 7 घंटे पढ़ती थी। आकांक्षा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता सहित पूरे परिवार और गुरुजनों को दिया है।

पिता के आंखों से छलके खुशी के आंसू


वहीं आकांशा के पिता अपनी बेटी की इस कामयाबी से बेहद खुश हैं। मीडिया से बातचीत करते हुए पिता की आंखों से खुशी के आंसू छलक गए, जिस पर उन्होंने कहा कि यह आंसू खुशी के हैं। भगवान ऐसी बेटी सभी को दें। मेरा बेटा नहीं है लेकिन इस बेटी ने उस कमी को खलने नहीं दिया। आकांक्षा की पढ़ाई लिखाई की बात करें तो उन्होंने बलिया से ही अपनी पढ़ाई पूरी की है।

आकांक्षा ने अपने कड़ी मेहनत और कठिनाइयों से लड़ते हुए यह मुकाम हासिल किया है। उनकी सफलता से पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है। ग्रामीणों ने उनके माता-पिता को ढेर सारी बधाई दी। लगातार उनकी इस सफलता के बाद उनको बधाई देने वालों का सिलसिला बरकरार है। हर कोई उन्हें बधाई देने के लिए पहुंच रहा है।

 

 

 

 

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