झुग्गी-झोपड़ी में एक दिन बिताकर बदल गई जिंदगी, पहले प्रयास में पास की IIT और UPSC, 22 साल की उम्र में सिमी बनीं IAS
कहते हैं कि अगर व्यक्ति कुछ ठान ले, तो क्या कुछ नहीं कर सकता। हर कोई इंसान अपने जीवन में कामयाबी पाने के लिए कड़ी मेहनत करता है परंतु कामयाबी के मार्ग में बहुत सी बाधाएं उत्पन्न होती हैं। जो लोग हर कठिन परिस्थिति का सामना करते हुए लगातार मेहनत करते रहते हैं उन्हें अपनी मंजिल मिल ही जाती है। वैसे देखा जाए तो देश में हर किसी का सपना होता है कि वह एक आईएएस अधिकारी बने लेकिन लोक संघ सेवा आयोग की परीक्षा पास करना कोई आसान काम नहीं है।
सिविल सर्विस परीक्षा को देश की किसी भी परीक्षा से कठिन मानी जाती है। इस परीक्षा की तैयारी के लिए छात्रों को फोकस करना होता है। लेकिन कुछ छात्र दूसरे कार्यों के साथ भी यूपीएससी की परीक्षा पास कर लेते हैं। आज हम आपको ओडिशा की रहने वाली IAS सिमी करन की कहानी बताने जा रहे हैं। सिमी करन ने IIT और UPSC जैसी दो-दो कठिन परीक्षाएं अपनी पहली ही कोशिश में पास कर ली और उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़ अफसर बनने का फैसला किया।
जानें IAS Simi Karan के बारे में
आपको बता दें कि सिमी करन मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली हैं। लेकिन वह छत्तीसगढ़ के भिलाई में पली बढ़ी हैं। उन्होंने शुरुआती की पढ़ाई भी यहीं से की है। आईएएस सिमी करन की सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए काफी है। इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाली सिमी करन के सिविल सर्विस में आने की कहानी भी काफी रोचक है। सिमी करन के पिता भिलाई स्टील प्लांट में काम करते थे। उनकी माता एक शिक्षिका थीं।
सिमी करन बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी होशियार थीं। सिमी करन ने दिल्ली पब्लिक स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की उन्होंने। 12वीं में 98.4 प्रतिशत अंक पाया था और पूरे स्टेट में टॉप किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिमी करन की पहले सिविल सर्विस में जाने की कोई इच्छा नहीं थी। इसलिए उन्होंने 12वीं के बाद आईआईटी में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया और पास हो गईं। इसके बाद उनको आईआईटी मुंबई में एडमिशन मिल गया और पढ़ाई करने लगीं।
इसलिए सिविल सर्विस में जाने का लिया फैसला
आपको बता दें कि सिमी करण इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान इंटर्नशिप कर रही थीं। इसी दौरान उन्हें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का मौका मिला था। इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विस में जाने का निर्णय ले लिया। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को देखकर वह समझ गई थीं कि उन्हें अपना जीवन लोगों के बीच उनकी सेवा करते हुए बिताना है। इसलिए इंजीनियर ना बनकर वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गईं।
22 साल की उम्र में बन गईं आईएएस अधिकारी
सिमी करण ने सिलेबस को कई भागों में बांट कर सीमित कोर्स मैटेरियल के साथ अपनी तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने अपने आप यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया। उन्होंने टॉपर्स के इंटरव्यू देखकर इंटरनेट की मदद ली और परीक्षा की तैयारी के लिए किताबों की लिस्ट तैयार की। सिमी करण ने बिना किसी कोचिंग के ही पहले प्रयास में यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास कर लिया। उनके ग्रेजुएशन की पढ़ाई मई 2019 में खत्म हुई और जून में यूपीएससी की परीक्षा दी।
सिमी करण को यूपीएससी की सिविल सर्विसेज एग्जाम 2019 में ऑल इंडिया में 31वीं रैंक हासिल हुई। वह सिर्फ 22 साल की उम्र में ही आईएएस अधिकारी बन गईं। वह असम-मेघालय कैडर की हैं। यूपीएससी ट्रेनिंग के दौरान उन्हें बेस्ट ट्रेनी ऑफिसर के तौर पर सम्मानित किया गया था। फिलहाल, सिमी करण दिल्ली में असिस्टेंट सेक्रेटरी के तौर पर तैनात हैं।