17 की उम्र में शादी, स्त्री होकर भी पुरुषों वाले बिजनेस को कर महिला कमाती है 1.5 करोड़ रुपए सालाना
आजकल के समय में महिला-पुरुष एक समान हैं। दुनिया में ऐसे बहुत से काम हैं, जो पुरुष कर रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि उन्हीं कामों को महिलाएं भी कर रही हैं और वह इस क्षेत्र में सफलता भी हासिल कर रही हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जिसमें पुरुषों के नाम से जाने जाने वाले कारोबार में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है।
आपको बता दें कि पुणे के इस कारोबार में करीब 500 पुरुष काम करते होंगे लेकिन इसमें वह अकेली महिला है। इस महिला ने ना सिर्फ पुरुषों के कारोबार को चुना बल्कि इसमें सफलता भी हासिल की। क्योंकि आज इसका टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपए आता है।
दरअसल, आज हम आपको जिस महिला के बारे में बता रहे हैं उनका नाम श्रद्धा थोरात है, जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि कोई भी काम कठिन नहीं है। चाहे वह काम पुरुषों का हो या स्त्रियों का हो। श्रद्धा थोरात ने पुरुषों के इस बिजनेस को करके एक नया मुकाम हासिल किया है और उन महिलाओं के लिए प्रेरणादायक बनी हैं, जो पुरुषों के बिजनेस में काम करने से कतराती हैं।
पुणे की रहने वाली श्रद्धा थोरात ने अपनी शिक्षा पुणे से ही प्राप्त की। उन्होंने अपनी शिक्षा बहुत मौज मस्ती के साथ पूरी की। वह शुरू से ही पढ़ाई में बहुत तेज रही थीं। उनके पिताजी का अपना व्यवसाय था। वहीं उनकी माताजी हाउसवाइफ थीं। माता-पिता, छोटी बहनों और भाइयों के साथ इनका एक छोटा सा अच्छा परिवार था।
श्रद्धा थोरात दसवीं में प्रथम आई थीं। इसके बाद उन्होंने कॉमर्स लिया। श्रद्धा थोरात का सपना था कि वह सीए बने लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया क्योंकि उनके पिताजी की तबीयत अचानक ही खराब हो गई। वहीं उनकी दादी जी की यह इच्छा थी कि उनकी पोती की शादी उनकी आंखों के सामने हो जाए, जिसके चलते पिता ने भी तुरंत श्रद्धा की शादी करने का निर्णय ले लिया और उनकी शादी एक रिश्तेदार के साथ तय हो गई।
जब श्रद्धा थोरात विवाह के बंधन में बंध गईं तो उसके बाद वह कराड चली गईं लेकिन ससुराल में उनके ससुर ने उनकी शिक्षा की अनुमति नहीं दी थी। उन्होंने बाहर से परीक्षा देकर कॉलेज की शुरुआत की। उनका एक किसान परिवार था तो कोई अलग आमदनी नहीं थी। उन्होंने परिवार की मदद के लिए सिलाई का काम आरंभ कर दिया। परंतु उससे ज्यादा कमाई नहीं हो पाती थी।
ससुराल की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण श्रद्धा अपने परिवार की मदद करना चाहती थीं। जब उन्हें सिलाई के काम से ज्यादा आमदनी नहीं हुई तो उन्होंने यह काम छोड़ दिया। उसके बाद उन्होंने नौकरी करने के बारे में सोचा। इसी बीच वह गर्भवती हो गई थीं। जब उनकी डिलीवरी होने वाली थी तो वह पुणे आईं और वहां पर उन्होंने नौकरी करने के बारे में सोच विचार किया। वहीं उनके माता-पिता ने भी उनको नौकरी करने से मना कर दिया था।
श्रद्धा ने इसके बाद अपने पति से बातचीत की थी और उन्हें पुणे आने के लिए तैयार किया। उनका परिवार पुणे आ गया और उनके पति को भी यहां पर नौकरी मिल गई। बाद में श्रद्धा ने एक कंप्यूटर इंस्टीट्यूट में नौकरी करना शुरू किया लेकिन ज्यादा इनकम ना होने के कारण वहां से भी उन्होंने नौकरी छोड़ दी। उन्होंने इस तरह की कई कंपनियों को इस दौरान बदला था।
आपको बता दें कि पुणे में श्रद्धा का परिवार 10 गुणा 10 के एक कमरे में रहता था। उन्होंने साल 2012 में अपनी बचत और गहने बेचकर एक फ्लैट बुक किया। जिस कंपनी में उन्होंने आखिरी बार काम किया था वह उस पर लेटकमिंग चार्ज लगाया जाता था। तभी उन्होंने अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का निर्णय लिया। उन्होंने सिर्फ एक व्यवसाय चलाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने व्यवसायिक अनुभव के लिए विभिन्न क्षेत्रों में काम किया और इसके बारे में सीखा। उनके पास कंप्यूटर इंस्टिट्यूट, हाउसकीपिंग कंपनी, रियल एस्टेट जैसे कई विकल्प थे।
श्रद्धा ने अपनी नौकरी के दौरान जो भी एफडी करवाई थी उससे बहुत सोचने के बाद उन्होंने अपने पति की सलाह से सेकंड हैंड कार के बिजनेस में जाने का निर्णय लिया। लेकिन इस व्यापार व्यवसाय को करने के लिए पूंजी की जरूरत थी। उन्होंने गांव के खेतों को बेचकर और गहनों पर कर्ज लेकर किसी तरह से पूंजी एकत्रित की। शुरुआत में उन्होंने एक छोटी सी जगह से अपना कारोबार आरंभ किया था।
लेकिन 10 महीने के बाद उन्हें जगह छोड़ना पड़ गया। वहां पर बिजनेस अच्छा चल रहा था परंतु जगह छोड़ने के बाद फिर से जीरो पर आ गया था। खर्चा निकलना भी काफी मुश्किल हो रहा था। फिर उन्होंने एक स्थान पर फिर से कारोबार करना आरंभ कर दिया। इस बार उन्होंने 7 साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन मालिक से विवाद के चलते जमीन को 2 महीने बाद ही छोड़नी पड़ गई।
श्रद्धा ने फिर नई जगह पर अपना कारोबार आरंभ किया। पति ने भी उनका पूरा साथ दिया। मौजूदा समय में उनके शोरूम में महीने में 35-40 कारें बिक जाती हैं। सालाना टर्न ओवर 1.5 करोड़ रुपए आता है। महज 17 वर्ष की आयु में श्रद्धा की शादी हो गई थी। उन्होंने अपने जीवन में कठिन संघर्ष किया। अपनी मेहनत, लगन और कठिन संघर्षों से उन्होंने कामयाबी हासिल की।