भारत के ये 12 गांव बसे हैं पाताल में, इन गांवों से भगवान हनुमान का भी है संबंध
भारत देश में ऐसी बहुत सी जगह हैं जो अपने आप में ही बेहद खास हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं, भारत देश में आज भी ऐसे कई स्थान हैं, जिनके बारे में लोगों को अभी तक मालूम नहीं है। वहीं कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जिनके बारे में जानने के बाद हर कोई हैरत में पड़ जाता है। भारत में कई ऐसे अजूबे हैं, जिनके बारे में जानकर किसी भी व्यक्ति के लिए विश्वास करना काफी मुश्किल हो जाएगा।
आज हम आपको भारत के ऐसे 12 गांवों के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में जानकर आप भी आश्चर्यचकित हो जाएंगे। भारत के यह 12 गांव पाताल में बसे हुए हैं। इन गांवों तक सूर्य की किरणें भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाती हैं। इन गांवों का कनेक्शन रामायण से है। तो चलिए जानते हैं, भारत के यह 12 गांव कौन से हैं, जो पाताल में बसे हैं।
जैसा कि हम लोग जानते हैं, दुनिया में ऐसे कई स्थान हैं, जो विज्ञान के लिए भी अजूबा है। आज हम आपको एक ऐसे ही स्थान के बारे में बताने वाले हैं, जो मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में है, इस जगह को पातालकोट के नाम से जाना जाता है, जहां ये 12 गांव बसे हैं।
पातालकोट सतपुड़ा की पहाड़ियों में है। इतना ही नहीं बल्कि पातालकोट में औषधियों का खजाना भरा हुआ है। यहां पर भूरिया जनजाति के लोग रहते हैं। जो भी लोग यहां पर रहते हैं, वह झोपड़ी में रहकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
पातालकोट के इन 12 गांव में सूर्य की किरणें भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाती हैं, क्योंकि यह सभी गांव धरातल से 3000 मीटर नीचे बसे हुए हैं और यहां पर बहुत घने पेड़ है। दंत कथाओं के मुताबिक, यह वही जगह है, जहां माता सीता धरती में समा गई थीं।
हालांकि, कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि जब राक्षस अहिरावण भगवान श्री राम और प्रभु लक्ष्मण को उठाकर पाताल लोक ले गया था तो भगवान हनुमान जी उन्हें बचाने के लिए यहीं से पाताल में गए थे। इसी वजह से इस बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि यह पाताल लोक जाने का दरवाजा है।
आपको बता दें कि पातालकोट के इन 12 गांव में जो भी लोग रहते हैं उनका बाहरी दुनिया से अधिक वास्ता नहीं रहता है। जी हां, अगर इन्हें खाने पीने की चीजों की आवश्यकता पड़ती है तो ज्यादातर वह अपने गांव में ही उगा लेते हैं। ऐसा बताया जाता है कि इन 12 गांव में रहने वाले लोग गांव से बाहर सिर्फ नमक खरीदने के लिए ही जाते हैं। पहले गांव पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कटा हुआ था। हाल ही में पातालकोट के कुछ गांवों को सड़क से जोड़ने का कार्य पूरा हुआ है।
बता दें कि पातालकोट के इन गांवों में दिन के वक्त कड़ी धूप रहती है परंतु इसके बाद भी ऐसा लगता है कि जैसे शाम हो रही है क्योंकि यहां पर सीधी धूप नहीं आती है। पातालकोट के गांव धरातल से करीब 3000 फुट नीचे बसे होने और अधिक पेड़ होने की वजह से यहां धूप सीधी नहीं आती है। बता दें कि कुछ वर्ष पहले ही लोग घाटी के गहरे हिस्से से निकलकर पहाड़ी के ऊपर हिस्से में आकर बस गए।
आपको यह जानकर और अधिक हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में इस समय के दौरान कोरोना वायरस ने कहर मचा रखा है परंतु पातालकोट के लोगों को कोरोना छू भी नहीं पाया है। जी हां, यहां पर कोरोना एक भी मामला सामने नहीं आया। यहां रहने वाले लोगों का संपर्क बाहरी दुनिया से बहुत कम है। शायद यही वजह है जिसकी जिससे यहां पर कोरोना का एक भी केस नहीं मिला था।