ये हैं गणेश जी के 5 चमत्कारी मंदिर, जहां हर मनोकामना होती है पूर्ण, बप्पा के दर से कोई भक्त नहीं जाता खाली हाथ
भारत में गणेश चतुर्थी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लोग इस पर्व का उत्साह पूर्वक इंतजार करते हैं। यह देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है। हालांकि, गणेश उत्सव का त्यौहार महाराष्ट्र में खास तौर पर मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदुओं का बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसे भक्त हर साल बड़े ही तैयारी और उत्साह से मनाते हैं।
इस साल 31 अगस्त से दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत हो गई है। यह पर्व गणेश चतुर्थी से शुरू होता है और भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि तक मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश जी मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता है। वहीं गणपति बप्पा के चमत्कारों से जुड़ी हुई बहुत सी कहानियां पुराणों में बताई गई हैं।
आज हम आपको इस लेख के माध्यम से भगवान गणेश जी के कुछ चमत्कारी मंदिरों के बारे में बताने वाले हैं। ऐसी मान्यता है कि इन मंदिरों से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है।
कनिपक्कम गणपति मंदिर
भगवान गणेश जी के चमत्कारी मंदिरों में से एक कनिपक्कम गणपति मंदिर है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश चित्तूर में स्थित है। इस मंदिर को लेकर ऐसा बताया जाता है कि यहां पर विनायक की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। आपको बता दें कि विनायक के एक भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने उन्हें एक कवच भेंट किया था। लेकिन प्रतिमा का आकार बढ़ने की वजह से अब उसे पहनना मुश्किल हो गया है।
ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में आता है, उसे सारे पापों से छुटकारा मिल जाता है। कनिपक्कम गणपति मंदिर भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर चमत्कार की ढेरों कहानियां खुद में समेटे हुए है।
दगड़ू गणेश मंदिर
दगड़ू गणेश मंदिर महाराष्ट्र के पुणे के में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि बप्पा के दर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। यहां गणपति बप्पा 30 दिनों में भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। वहीं अगर हम इस मंदिर के निर्माण के संबंध की कहानी के बारे में जानें, तो जब 18 वीं शताब्दी में प्लेग महामारी फैली हुई थी, तो उस वक्त यहां एक व्यापारी दगड़ू सेठ हलवाई के बेटे की मृत्यु इस बीमारी के कारण हो गई थी।
बेटे की मृत्यु की वजह से दगड़ू सेठ और उनकी पत्नी काफी दुखी रहने लगे थे। तब अपने गुरु माधवनाथ महाराज के कहने पर उन्होंने यहां गणेश मंदिर बनवाया था। सबसे पहले इसका नाम गणेश मंदिर ही था, लेकिन बाद में दगडू सेठ हलवाई के नाम से ही यह मंदिर प्रसिद्ध हो गया।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर
राजस्थान के जयपुर शहर में स्थापित बप्पा का मोती डूंगरी गणेश मंदिर में जो गणेश प्रतिमा है, उसे 1761 में जयपुर के राजा माधौसिंह की रानी के पैतृक गांव मावलीसे लाई गई थी। इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। वैसे तो इस मंदिर में हमेशा ही भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है लेकिन गणेश चतुर्थी, नवरात्र, दशहरा और दीपावली पर यहां विशेष उत्सव होता है और इस दौरान लोग अपने नए वाहन लेकर यहां पर आते हैं और पूजा करवाते हैं। गणेश जी के इस मंदिर में वाहनों की पूजा करवाने से दुर्घटना नहीं होने की मान्यता है।
मधुर महागणपति मंदिर
केरल के मधुरवाहिनी नदी के किनारे पर मधुर महागणपति मंदिर स्थित है। मंदिर का इतिहास 10वीं शताब्दी का माना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी सबसे रोचक बात यह है कि शुरुआत में यह भगवान शिव का मंदिर था लेकिन पुजारी के छोटे से बेटे ने मंदिर की दीवार पर भगवान गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण किया था। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के गर्भ गृह की दीवार पर बनाई हुई बच्चे की प्रतिमा धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाने लगी है हर दिन बड़ी और मोटी होती गई। उस समय से यह मंदिर भगवान गणेश जी का बेहद खास मंदिर हो गया।
गढ़ गणेश मंदिर
राजस्थान के जयपुर शहर में अरावली की ऊंची पहाड़ियों पर गढ़ गणेश मंदिर स्थित है। माना जाता है कि मंदिर की स्थापना जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाई थी। यह मंदिर अपने आप में एक अनोखा मंदिर है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया भर के मंदिरों में गणपति बप्पा की सूंड वाली प्रतिमा स्थापित है लेकिन इस मंदिर की यह खासियत है कि यहां पर भगवान गणेश जी के इंसानी रूप यानी बिना सूंड वाली प्रतिमा की पूजा होती है।