पिता के शव को घर पर छोड़ आँखों में आंसू लिए परीक्षा देने गई ये लड़की, अब रिजल्ट आया तो…
आमतौर पर कोई भी छात्र अपने पढ़ाई के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करता है लेकिन वहीं कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी किस तरह हौसला बनाए रखना चाहिए वो उनसे सीखना चाहिए। दरअसल आज जो खबर हम आपको बताने जा रहे हैं उसे सुनकर आप भी यही कहेंगे कि वाकई में इस छात्रा से कुछ सीखना चाहिए। जी हां आपको बता दें कि हाल ही वेद इंटरनेशनल स्कूल की एक छात्रा जिसका नाम खुशी है उसने मिसाल कायम की हर कोई उसके बारे में बात कर रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि वो अपने पिता का शव घर पर छोड़कर परीक्षा देने पहुंची जिसके बाद उसका रिजल्ट आज सभी के सामने है इसे देखने के बाद किसी ने उम्मीद नहीं की थीं कि ऐसा भी हो सकता है जी हां क्योंकि रिजल्ट आने के बाद पता चला कि वह 75 फीसद अंक के साथ परीक्षा पास कर चुकी है।
बता दें कि खुशी श्रीवास्तव की 28 मार्च को गणित की परीक्षा थी और 27 मार्च को उसके पिता राजेश श्रीवास्तव का असामयिक निधन हो गया था जिसकी वजह से खुशी और उसका पूरा परिवार रातभर गम में अपने पिता के शव के पास बैठकर रो रहा था लेकिन वहीं अगले दिन खुशी अपनी परीक्षा देने गई थी। वैसे बताया जा रहा है कि वो परीक्षा देने नहीं जा रही थी, लेकिन घरवालों ने समझाकर उसे परीक्षा देने भेजा और अब जब उसका रिजल्ट आया तो किसी को यकीन नहीं हो पा रहा था सभी की नजर खुशी के रिजल्ट पर थी।
हैरानी तो इस बात की थीं कि खुशी परिवार की उम्मीदों पर खरी उतरी और 75 फीसद अंक प्राप्त कर परीक्षा पास की। परीक्षाफल देखने के बाद आंखों में आंसू आ गए। पिता की यादें एक बार फिर उसके जेहन में तैरने लगी। खुशी का कहना था कि काश उसके पापा आज उसके साथ होते तो वो बहुत खुश होते। परिवार व विद्यालय के लोगों ने उसे समझाया और कहा कि इतना अच्छा परीक्षाफल लाकर तुमने अपने पिता को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
बता दें कि ये मामला गाजीपुर के सैदपुर क्षेत्र का है जहां सीबीएससी बोर्ड के मान्यता प्राप्त तीनों विद्यालय बासूपुर स्थित वेद इंटरनेशनल स्कूल, तुलसीपुर विक्रमपुर स्थित बीएसवाई शिक्षण संस्थान व बेलहरी स्थित उमा पब्लिक स्कूल का रिजल्ट शत-प्रतिशत रहा। सभी बच्चे पास रहे। इससे बच्चों के साथ विद्यालय व परिवार में खुशी है। इस बच्ची ने जो कर दिखाया वो वाकई में काबिले तारीफ है इनते गम में होने के बावजूद इसने हार नहीं माना और अपने पिता के नाम को रौशन किया।