प्राचीन चीजों की खोज तो हमेशा से ही चलती आई है वहीं इस बार भी इस खोज में कुछ ऐसा ही हाथ लगा है। जी हां आपको बता दें कि हाल ही में तमिलनाडु से एक ऐसी ही खबर सामने आई है। पिछले काफी समय से लोग नई नई चीजो कि खोज और आविष्कार कर रहे हैं। आए दिन नई नई चीजें आती ही रहती हैं। लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जो हमे सोचने पे मजबूर कर देती हैं। इतिहास मे कई चीजें आश्चर्यजनक है। लेकिन इस बात का पता लगा पाना मुश्किल है कि इसमे कितनी सच्चाई है। तमिलनाडु के पंचवर्णास्वामी मंदिर में आज के समय में उपयोग होने वाले साइकिल की नक्काशी का मामला सामने आया है।
2 हजार साल पुराने शिव मंदिर की दीवार पर बनी ये आकृति एक भविष्यवाणी के रूप में देखी जा रही है। जी हां आपको बता दें कि इस मंदिर में जो आकृति नजर आई जिसके बाद ये काफी चर्चा में बनी हुई है। वैसे अगर बात की जाय मंदिरों के कला की तो प्राचीन काल में हमारे देश में स्थापत्य कला की तीन प्रमुख शैलियां विद्यमान थीं उत्तर भारत की नागर शैली, उत्तर−दक्षिण की बेसर शैली तथा दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली। इनमें मूर्तिकला, शिल्प, सुंदरता आदि की दृष्टि से द्रविड़ शैली अत्यन्त मनमोहक, कलात्मक एवं प्रेरक है। इसका अधिकाधिक विकास तमिल प्रदेश के अनेक मंदिरों के निर्माण में छठी शताब्दी से सत्रहवीं शताब्दी के बीच पल्लव, चोल, पांड्य, विजयनगर और नायक राजाओं के शासनकाल में हुआ।
दरअसल माना जा रहा है कि प्राचीन समय में जब ये मंदिर का निर्माण हुआ था तब साइकिल जैसे और भी कई वाहनों के बाद में आने की भविष्यवाणी कर दी गई थी। मोहन नाम के शख्स ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया है। हालांकि, इतिहासकार डॉ. कालिकोवन के मुताबिक 1920 में मंदिर को रेनोवेट किया गया था, तो ऐसा माना जा रहा है कि हो सकता उस दौर में इसे बनाया गया हो।
वहीं अगर हम इतिहासकारों की माने तो साइकिल का आविष्कार करीब 200 साल पहले हुआ था। लेकिन ये आकृति दो हज़ार साल पुरानी बताई जा रही है। इसलिए कहा जा सकता है कि दो हजार साल पहले ही ये भविष्यवाणी कर दी गयी थी आने वाले समय में साइकिल जैसी कोई चीज लोगो के जीवन में आयेगी। हो सकता है ये सच भी हो। वैसे 1885 में पहली बार चेन वाली सायकिल बनायी गयी थी। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि मंदिर की दीवार पर बनी यह सायकिल की आकृति देखकर तो यही लगता है कि उसी समय लोगों को भविष्य में चलने वाले वाहनों की जानकारी थी।
लेकिन वहीं 2015 में भी इस साइकिल के सच्चाई पर के इतिहासकार ने सवाल उठाए थे उस समय भी ये मंदिर काफी सुर्खियों में था। लेकिन जब मंदिर को रेनोवेट किया गया था तब साइकिल मार्केट में नई थी तो हो सकता है तभी इसे बनाया गया हो।