पूजा पाठ तो हम सभी करते है लेकिन कभी कभी ऐसा भी होता है की हम रोज पूजा तो करते है लेकिन हमारा मन अशांत रहता है तो इसका सीधा सा मतलब यही है की है कि आप कि पूजा-पाठ में कुछ ना कुछ तो गलत हो रहा है. मन की शांति और जिस भी मनोकामना से पूजा की जा रही है, उसकी पूर्ति के लिए परे विधान से पूजा का किया जाना जरूरी है.
आज हम आपको बताएँगे कि पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखें और कुछ जरूरी नियमों का पालन कैसे करने से आपकी ऊजा सफल होगी और आपकी हर मनिकमना भी पूर्ण होगी|
पूजा के दौरान हमेशा इस बात का ध्यान रखे की शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए.
कभी भी तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं
आपको बता दे की तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है इसीलिए इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है.
पूजा करते समय अगरबत्ती अवश्य जलाएं इससे घर का वातावरण सुगन्धित रहता है और माता लक्ष्मी का वश होता है और जहाँ माता लक्ष्मी का वास होता है वहाँ पर कभी भी धन की कमी नहीं होती है |
कभी भी रविवार, एकादशी द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए ये अशुभ माना जाता है
कभी भी सूर्य देवता को को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए|
दूर्वा (एक प्रकार की घास) को कभी भी रविवार को नहीं तोड़नी चाहिए.
बुधवार और रविवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए.
प्लास्टिक की बोतल में या किसी भी अपवित्र धातु के बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए|. गंगाजल सदैव तांबे के बर्तन में रखना शुभ रहता है.
केतकी का फूल कभी भी शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए.
माँ लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है और ये फूल को पांच दिनों तक जल छिड़क कर पुन: चढ़ा सकते हैं.