कोरोना वायरस की महामारी ने देशभर के लोगों का बुरा हाल कर दिया है। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा कई अहम कदम उठाए जा रहे हैं। वायरस की रोकथाम के लिए देश भर में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया था, जिससे इस बीमारी पर लगाम कसी जा सके। लॉक डाउन के दौरान लोग हर तरीके से परेशान हुए। लोगों की नौकरी चली गई। लोगों के पास कोई भी काम-धंधा नहीं रहा, जिसकी वजह से घर का गुजारा चला पाना बेहद मुश्किल हो रहा है।
कोरोना काल में लोगों की नौकरी चली गई, लोग रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं परंतु ऐसा नहीं है कि इस संकट की घड़ी में कोई भी व्यक्ति सामने नहीं आया है। बहुत से ऐसे लोग जो मसीहा बनकर सामने आए हैं, जिन्होंने जरूरतमंद लोगों की अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की है। इसी बीच हम आपको ऐसे दो ऑटो ड्राइवर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिन्होंने कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों को अस्पताल पहुंचाया है। संकट की इस घड़ी में इन दोनों ऑटो ड्राइवर ने लोगों को सुविधा दी है।
कोरोना काल में दो ऑटो ड्राइवर बने मसीहा
दरअसल, हम आपको जिन दो ऑटो ड्राइवर के बारे में जानकारी देने वाले हैं इनका नाम हरीश कुरूवाचरी जिनकी उम्र 47 वर्ष की है और मयील रत्नीश जिनकी उम्र 42 वर्ष की है। यह दोनों ही ऑटो ड्राइवर नीलेश्वर के रहने वाले हैं। कोरोना जैसी महामारी के बीच इन दोनों ने अपनी ऑटो रिक्शा को एक एंबुलेंस की तरह चला रहे हैं। कोरोना संक्रमण से पीड़ित मरीजों को यह अस्पताल ले जाते हैं और लेकर आते हैं। इन ऑटो ड्राइवर का ऐसा कहना है कि यह पिछले 2 महीनों से लगभग 200 से अधिक मरीजों को सुविधा दे चुके हैं।
हम एंबुलेंस सर्विस नहीं चला रहे हैं
मीडिया से बातचीत करने के दौरान हरीश ने कहा है कि हम कोई भी एंबुलेंस सर्विस नहीं चला रहे हैं। हम एसिंप्टोमेटिक मरीज को कोविड या फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट सेंटर ले जाते हैं, इसके पीछे का कारण यह है कि शहर में एंबुलेंस सर्विस की काफी कमी है। आपको बता दें कि कोरोना वायरस की महामारी के बीच यह दोनों ऑटो ड्राइवर दो बार खुद का भी कोविड टेस्ट करवा चुके हैं और दोनों ही बार इनका नेगेटिव रहा है। यह दोनों ऑटो ड्राइवर बिना किसी डर के लगातार संकट की इस घड़ी में लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं। महामारी के बीच यह दोनों मसीहा बनकर सामने आए हैं।
आपको बता दें कि नीलेश्वर तालुका अस्पताल ने यह फैसला लिया था कि हरीश और रत्नेश को 108 एंबुलेंस सर्विस की जिम्मेदारी दी जाएगी, इसके पश्चात एक दिन एक पॉजिटिव मरीज सामने आया तो कोई भी उन्हें लाने नहीं जा रहा था, जिसके पश्चात उन्होंने हरीश को कॉल किया और हरीश ने तुरंत ही इस काम के लिए हां भर दी। बाद में हरीश को रत्नेश का साथ मिला था और यह दोनों ही यह नेक काम करने में जुटे हुए हैं। तालुका अस्पताल ने दोनों को मास्क, ग्लव्स, सैनिटाइजर, शैंपू और स्प्रे गन प्रोवाइड करा दिया है। इन दोनों ऑटो ड्राइवर का ऐसा कहना है कि वह ऑटो रिक्शा ड्राइवर से कम रिस्क पर है क्योंकि उन्हें पता होता है कि वह कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज को ले जा रहे हैं, जिसके चलते यह पूरी सावधानी बरतते हैं। इस दौरान यह यात्रियों से भी सामान्य किराया लेते हैं।