बेटियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। बेटी भगवान का दिया गया एक ऐसा तोहफा है, जो हर किसी को नहीं मिलता है। जिस प्रकार बेटा घर का कुलदीपक है, वैसे ही बेटी घर की लक्ष्मी होती है। जिस घर में बेटियां होती हैं। उस घर में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है।
बेटियां एक साथ कई जिम्मेदारियां संभालती हैं। बेटियां हमेशा अपने परिवार के अच्छे-बुरे समय में साथ खड़ी हुई नजर आती हैं। इसके बावजूद भी कहीं ना कहीं आज भी बेटियों के प्रति समाज में रूढ़िवादी सोच हावी हो रही है।
आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जब बेटी का जन्म होता है तो वह दुखी हो जाते। लेकिन समय के साथ साथ आज बेटियों की स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है। जब घर में बेटी का जन्म होता है, तो इसकी खुशी क्या होती है। कोई भी इस परिवार को देखकर अंदाजा लगा सकता है।
बेटों के जन्म पर तो खुशी मनाने का चलन बहुत पुराना रहा है परंतु बदलते जमाने के साथ अब लोग बेटियों के जन्म पर भी जोर शोर से खुशी मनाने लगे हैं। कुछ ऐसा ही सुखद नजारा बिहार में देखने को मिला है, जहां पर सालों बाद जब बेटी का जन्म हुआ, तो पूरे परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा, पूरा परिवार खुशी से झूम उठा।
45 साल बाद खानदान में जन्मी बेटी तो खुशी से फूले नहीं समा रहा पूरा परिवार
आपको बता दें कि बिहार के छपरा के एक खानदान में 45 सालों के लंबे अंतराल के बाद बेटी का जन्म हुआ, तो पूरा परिवार खुशी से झूमने लगा। नन्ही बिटिया रानी के अस्पताल से घर आने पर उसके स्वागत में किसी उत्सव की तरह इंतजाम किया गया। बिटिया रानी को अस्पताल से घर लाने के लिए डोली सजाई गई और बैंड-बाजों का इंतजाम किया गया। महिलाएं स्वागत में मंगलगीत गाती रहीं, तो अन्य परिजन ढोल-ताशों की धुन पर थिरकते रहे। जिसने भी इस जश्न की हकीकत जानी उनका मन भी प्रफुल्लित हो उठा।
बता दें कि छपरा के एकमा नगर पंचायत क्षेत्र के निवासी धीरज गुप्ता की पत्नी ने एकमा के एक निजी अस्पताल में बेटी को जन्म दिया। बेटी पैदा होने पर परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। परिजन नन्ही बिटिया रानी को पालकी में बैठाकर गाजे-बाजे के साथ घर लेकर आए। बेटी पैदा होने से खुश पिता ने अस्पताल से अपनी बेटी को घर लाने के लिए एंबुलेंस के बजाय डोली सजाई।
इस परिवार में बेटी का जन्म 45 साल के बाद हुआ है, इससे यह परिवार बहुत ज्यादा खुश है। परिवार ने ख़ुशी से अस्पताल में नोटों की बारिश कर दी। इसके बाद अस्पताल के सभी कर्मचारियों का मुंह मीठा कराया। परिजनों ने गांव में मिठाइयां बांटी और जब बेटी को अस्पताल से छुट्टी मिली, तो उसे डोली में बैठाकर लाया गया।
बेटियां होती हैं साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, धीरज गुप्ता के बड़े भाई बबलू गुप्ता ने कहा कि वह चार भाई हैं। लेकिन किसी के घर बेटी नहीं थी। सभी इस बात के लिए तरस गए थे कि कब इस परिवार में बेटी का जन्म हो। उन्होंने बताया कि करीब 45 साल के बाद उनके परिवार में बेटी ने जन्म लिया है। परिवार के मुखिया और इस नन्हीं बिटिया के दादा शिवजी प्रसाद ने कहा कि बेटियां साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप होती हैं।