कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक देश अमेरिका है। जहां अब तक कोरोना से 5.86 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं अमेरिका में कोरोना की दूसरी लहर में भारी नुकसान झेलने के बाद हालात तेजी से सामान्य होने लगे हैं। अमेरिका में सीडीसी ने लोगों को खुली जगह पर मास्क लगाने से छूट दे दी है। इतना ही नहीं अमेरिका ने अपने सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य और मुफ्त कोरोना वैक्सीनेशन और हर सार्वजनिक जगह पर ‘रैंडम टेस्टिंग’ की सुविधा अपना रखी है। आपको बता दें कि अमेरिकी स्वस्थ्य एक्टपर्स का मानना है कि अगर भारत भी कोरोना पर काबू पाना चाहता तो उसे इसी तरह का मॉडल अपनाना चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका ने तेजी से अपनी आबादी को कोरोना वैक्सीन देने की रणनीति अपनाई और तीन अलग अलग चरणों से गुजरने के बाद अब अमेरिका में 16 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन अनिवार्य कर दी गई है। वहीं अमेरिका ने सभी को मुफ्त वैक्सीन देने का ऐलान किया है। वहीं भारी आबादी को वैक्सीन लगने के बाद यहां लोग कम संक्रमित हो रहे हैं। जिससे कोविड पॉजिटिव की संख्या में भारी गिरवाट देखने को मिल रही है।
डॉक्टरों का मानना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद लोगों को दोबारा कोरोना होने की संभावना ना के बराबर है और अगर संक्रमण हो भी गया तो वो जानलेवा नहीं होता। और तो और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की संभावना भी बहुत कम ही होती है। यही कारण है कि अब अमेरिका में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
27 घंटे वैक्सीन उपलब्ध-
जानकारी के मुताबिक अमेरिका में 16 साल से अधिक उम्र के लोग कहीं भी जाकर वैक्सीन लगवा सकते है। लोग अपनी सुविधानुसार 24 घंटे में कभी भी किसी भी सेंटर पर जाकर मुफ्त में वैक्सीन लगवा सकते हैं। हालांकि जिन लोगों की उम्र 90 या 100 साल की आयुसीमा में हैं, उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए डॉक्टरों की टीम उनके घर पर जाकर वैक्सीन लगा रही है। अमेरिका में लंबी लाइन न होने से लोग वैक्सीन लगवाने से भी कतराते नहीं हैं। अगर भारत इसी तरह जगह-जगह पर मुफ्त और अनिवार्य वैक्सीन सुविधा उपलब्ध करा सकता है तो देश को कोरोना के कारण होने वाले भारी नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
मुफ्त वैक्सीन और टेस्टिंग न करने के नुक्सान-
बता दें कि भारत में कोविड टेस्टिंग सरकारी जगहों पर भी मुफ्त है लेकिन प्राइवेट लैब इसके लिए मोटी रकम वसूल रहे हैं। हालांकि यह वैक्सीन आम नागरिकों को कितने में मिलेगी, यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन अगर इसकी कीमत वसूल की गई तो इससे कोरोना को रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
कंपनियों को आर्थिक सहयोग करे सरकार-
इन दिनों किसी कर्मचारी को कोरोना हो गया तो उसे घर पर आराम करने के दौरान उसकी नौकरी बरकरार रहनी चाहिए और उसे पूरा वेतन भी मिलना चाहिए। इस बात का केंद्र सरकार को ख्याल रखते हुए कंपनियों को आर्थिक सहयोग देने की जरूरत हैं। अमेरिका में कोरोना के कारण नागरिकों के बीमार पड़ने के कारण देश को हुए नुकसान की तुलना में आर्थिक नुकसान बहुत कम है।
रैंडम टेस्टिंग होनी जरूरी-
जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका में व्यापारिक प्रतिष्ठान खुलने लगे हैं। लेकिन इनमें किसी तरह के संक्रमण से बचने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम रैंडम आधार पर कंपनियों में विजिट करती है और कोरोना टेस्टिंग के लिए सैंपल लेती है। इससे कोरोना के आगे बढ़ने की किसी भी संभावना को रोकने की कोशिश की जा रही है। वहीं दफ्तरों में संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनना अभी अनिवार्य ही रखा गया है। इससे किसी के संक्रमित होने पर भी यह संक्रमण अन्य लोगों तक नहीं पहुंच रहा है।