दुनिया भर में साल के पहले दिन का लोग जश्न मना रहे थे। लोग माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए गए हुए थे लेकिन नए साल के पहले दिन ही देश को बड़े हादसों का सामना करना पड़ा। नए साल की रात माता वैष्णो देवी के दरबार में भगदड़ मच गई और अगली ही सुबह शोक की लहर दौड़ पड़ी। इस हादसे में 12 लोगों की जान चली गई जबकि 13 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
माता वैष्णो देवी के दरबार में हुए हादसे के दौरान जिन लोगों की जान गई उसमें गोरखपुर जिले के चौरीचौरा इलाके के रामपुर बुजुर्ग गांव के पूर्व प्रधान सत्यप्रकाश सिंह के इकलौते बेटे डॉक्टर अरुण प्रताप सिंह भी थे। डॉक्टर अरुण प्रताप सिंह जेल बाईपास रोड स्थित हिंदू हॉस्पिटल के संचालक थे। वह अपनी पत्नी डॉ. अर्चना और दोस्तों के परिवार के साथ माता वैष्णो देवी के दरबार में दर्शन करने के लिए गए हुए थे।
अभी एक महीने पहले ही 1 दिसंबर को डॉ. अरुण प्रताप सिंह और डॉ. अर्चना का विवाह हुआ था लेकिन एक महीने के भीतर ही डॉ. अर्चना की मांग का सिंदूर उजड़ गया। माता रानी के दरबार में जीवन को खुशहाल बनाने की कामना करने के लिए गए हुए थे लेकिन अरुण के साथ ऐसा हादसा हो जाएगा, किसी को क्या मालूम था।
वहीं दोस्तों ने परिवार के लोगों को यह बताया कि डॉ. अर्चना पति की मृत्यु के बारे में सोच-सोच कर बदहवास हो जा रही हैं उनका कहना है कि अभी तो मेरे हाथों से शादी की मेहंदी का रंग भी नहीं छूटा था और माता रानी ने मेरा सुहाग ही छीन लिया। आखिर मैंने ऐसा क्या पाप किया है? वैष्णो माता ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?
डॉक्टर अर्चना के इस सवाल का जवाब किसी के पास भी नहीं था। डॉक्टर अर्चना अपने अपने पति की मौत के बारे में सोच-सोच कर बिलख बिलख कर रोने लगीं। उन्हें देखकर हर किसी की आंखों से आंसू छलक पड़े।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नए साल की खुशी मनाने के लिए रामपुर बुजुर्ग और आसपास के गांव के लोगों ने अच्छी खासी तैयारी कर ली थी परंतु जैसे ही सुबह को हादसे में डॉक्टर अरुण प्रताप सिंह की मृत्यु की खबर मिली तो गम का महल छा गया। सभी लोग नव वर्ष को भूल गए और सभी के सभी दिवंगत डॉ के घर शोक संतप्त परिवार को ढांढस बांधने के लिए पहुंचने लग गए। लोगों का ऐसा बताना था कि नव वर्ष के पहले ही दिन परिवार को जो सदमा मिला है, उसे वह जीवन भर नहीं भूल पाएंगे।
आपको बता दें कि डॉ.अरुण प्रताप सिंह की उम्र अभी 31 साल की ही थी लेकिन वह इस उम्र में इस दुनिया को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चले गए और अपने पीछे अपने परिवार और अपने पत्नी को रोता बिलखता छोड़ गए। अरुण प्रताप सिंह का स्वभाव बहुत ही शांत था। वह अपने हंसमुख अंदाज और मेहनत से अपने पास आने वाले मरीजों की आधी बीमारी वैसे ही दूर कर दिया करते थे।
15 अगस्त या 26 जनवरी को होने वाले ध्वजारोहण कार्यक्रम में डॉ. अपने पड़ोस के लोगों को जरूर बुलाया करते थे। डॉ.अरुण प्रताप को बच्चों से बहुत ज्यादा लगाव था। यही वजह रही कि हॉस्पिटल के बगल में रहने वाले प्रांजल वैष्णो देवी में भगदड़ और उसमें डॉक्टर की मृत्यु की सूचना देखकर रो पड़े।
प्रांजल का ऐसा बताना है कि 15 अगस्त और 26 जनवरी पर डॉक्टर अंकल बुलाकर बिस्कुट, चॉकलेट देते और सम्मानित किया करते थे। हॉस्पिटल के स्टाफ नील चौधरी और संजय कनौजिया समेत सभी का ऐसा कहना है कि ऐसे डॉक्टर नहीं मिलेंगे। उन्होंने उनका व्यवहार बहुत ही अच्छा बताया। उन्होंने कहा कि उनकी मृत्यु की सूचना ने हिला कर रख दिया। डॉक्टर की मृत्यु की सूचना मिलने के बाद अस्पताल के स्टाफ अभी भी सदमे से बाहर नहीं आ पाए हैं।
वही करुण गुप्ता के द्वारा डॉ. अरुण की दो तस्वीरों को शेयर किया गया है और उन्होंने लिखा कि “मां वैष्णो देवी दरबार में हुई भगदड़ में मेरे बड़े भैया डॉ.अरुण प्रताप सिंह की मृत्यु हो गई है।” वहीं दिनेश अग्रहरी ने लिखा कि “माता वैष्णो देवी के दरबार में हुई भगदड़ में डॉक्टर अरुण प्रताप सिंह के निधन पर गहरा शोक है।” अतुल जायसवाल ने डॉ. के शादी में जाने और उनसे जुड़ी यादें शेयर की है। उन्होंने लिखा है कि “डॉ. अरुण प्रताप सिंह अब हम लोगों के बीच में नहीं रहे।”
आपको बता दें कि अपनी फेसबुक आईडी से शुक्रवार की दोपहर में डॉक्टर अरुण प्रताप सिंह लाइव आए थे। सबसे पहले उन्होंने वैष्णो माता के मंदिर में दर्शन करने जाते हुए जय माता दी कहा था। इस दौरान उन्होंने पीले रंग की टी-शर्ट पहनी हुई थी और उन्होंने अपने गले में माता रानी की चुनरी भी डाली हुई थी। वीडियो को देखकर यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि डॉ. अरुण प्रताप सिंह कटरा के आसपास रहे होंगे।
यह वीडियो 2 मिनट 24 सेकंड का था परंतु यह वीडियो उनका अंतिम वीडियो बन गया। फेसबुक पर ही वीडियो में उनको आखिरी बार देखा गया था। डॉक्टर अरुण के दोस्त रायगंज के रजनीश सिंह ने ऐसा बताया कि घटना से 21 घंटे पहले डॉक्टर अरुण प्रताप सिंह फेसबुक पर लाइव आए थे उन्होंने बताया था कि माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए आए हुए हैं लेकिन इसी बीच इस बड़े हादसे की सूचना मिली और तुरंत ही अरुण को फोन मिलाया गया था परंतु उनका फोन बंद जा रहा था, जिसकी वजह से चिंता और अधिक बढ़ गई थी लेकिन बाद में उनकी मृत्यु की सूचना मिली।
इससे कुछ घंटे पहले ही वह अपनी निजी गाड़ी में बैठ कर संगीत सुनते हुए माता वैष्णो देवी के दरबार में जाने की बात कह रहे थे। गाड़ी में डॉ.अरुण आगे की तरफ बैठे हुए थे और पीछे की तरफ उनके अन्य साथी भी बैठे हुए थे। 20 दिसंबर को ही उन्होंने अपनी 7 साल पुरानी फोटो साझा की थी और उन्होंने “सेवन ईयर बैक” लिखा था।