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16 सितंबर को है विश्वकर्मा पूजा, काम में बरकत लाने के लिए इस विधि से करें पूजन

हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति को मनाई जाती है। आपको बता दें कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ था। इस बार 16 सितंबर 2020 यानी बुधवार को विश्वकर्मा पूजा की जाएगी। इस दिन को “विश्वकर्मा डे” भी कहा जाता है। इस दिन फैक्ट्रियों, उद्योगों और हर तरह के मशीन की पूजा होती है। अगर हम पौराणिक कथाओं के अनुसार देखें तो ऐसा बताया जाता है कि भगवान विश्वकर्मा जी ने ही देवी देवताओं के भवनों, अस्त्र और शस्त्र, मंदिरों का निर्माण किया था। सृष्टि की रचना में विश्वकर्मा जी ने ब्रह्मा जी की मदद की थी। इसी वजह से इंजीनियरिंग काम करने वाले लोग विश्वकर्मा जी की पूजा अवश्य करते हैं।

भगवान विश्वकर्मा जी को इस सृष्टि का पहला शिल्पकार बताया गया है। ऐसा बताया जाता है कि विश्वकर्मा जी ने ही इंद्र नगरी, वरुण पुरी, पांडव पुरी, कुबेर पुरी, यमपुरी और सुदामापुरी को बसाया था। इस दिन जो भी कारोबारी भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा-उपासना करता है, उसको अपने व्यापार-काम में सफलता मिलती है।

विश्वकर्मा पूजा सामग्री

अगर आप अपने कामकाज में बरकत लाना चाहते हैं तो इसके लिए विश्वकर्मा जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। पूजा के लिए आपको जरूरी सामग्रियां पहले एकत्रित करनी होगी। आप श्री विश्वकर्मा जी की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे अक्षत, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, सुपारी ,रक्षा सूत्र, मिठाई, फल, रोली, दही आदि का इंतजाम कर लीजिए।

विश्वकर्मा पूजा विधि

जानिए विश्वकर्मा पूजा का महत्व

विश्वकर्मा पूजा का बहुत महत्व माना गया है। शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो विश्वकर्मा जी की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि विश्वकर्मा जी को पहला वास्तुकार माना गया है। ऐसा माना जाता है कि हर वर्ष अगर आप अपने घर में रखे हुए लोहे और मशीनों की पूजा करते हैं तो इससे आपकी यह सभी चीजें जल्दी खराब नहीं होती है। आप इन चीजों का लंबे समय तक प्रयोग कर सकते हैं। मशीनों की पूजा करने से भगवान विश्वकर्मा जी की कृपा बनी रहती है। भारत के ऐसे बहुत से हिस्से हैं जहां पर बेहद धूमधाम के साथ विश्वकर्मा मनाईं जाती है। यह त्यौहार ऋषि विश्वकर्मा के प्राकट्य के खुशी में मनाया जाता है। इस दिन कंपनियों और कारखानों में ऋषि विश्वकर्मा जी के साथ-साथ औजारों, मशीनों और अस्त्र, शस्त्रों की पूजा की जाती है।

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