पिता का हो गया निधन, किया वेटर का काम, प्याज-रोटी खाकर की रात-रात भर पढ़ाई, अब नायब तहसीलदार बने हिमांशु
हर इंसान का कोई ना कोई सपना होता है, जिसे पूरा करने के लिए व्यक्ति दिन-रात कड़ी मेहनत करता है। ऐसा कहा जाता है कि जीवन में कोई भी लक्ष्य आपके हौसले और साहस से बड़ा नहीं हो सकता। फिर चाहे बाधाएं कैसी भी हो, लेकिन उनको पार करके सफलता आपके कदम चूम ही लेती है। आज हम आपको हिमांशु की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन की हर मुश्किल को आसान कर अपने सपनों को पूरा किया है। हिमांशु जैसे लोग उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जिनके सपने तो बड़े हैं लेकिन वह अपने हालातों से डर जाते हैं।
हिमांशु ने अपने जीवन में कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया। अपने हालातों से मजबूर अपनी आजीविका के लिए उन्होंने वेटर तक का काम किया था। लेकिन अब नायब तहसीलदार बन गए हैं। वेटर से नायब तहसीलदार के इस सफर में कई बाधाएं आईं। कई बार हौसला भी जवाब देने लगा, लेकिन हर बार खुद को संभालते हुए हिमांशु ने अपने लक्ष्य पर फोकस बनाए रखा और अपने सपने को साकार किया।
वेटर से नायब तहसीलदार बनने तक का सफर
हरियाणा के बहादुरगढ़ के जाखौदा मोड़ बाईपास पर स्थित देशी ढाणी होटल में वेटर का काम करने वाले हिमांशु उत्तर प्रदेश में नायब तहसीलदार बन गए हैं। हालांकि हिमांशु के लिए वेटर से नायब तहसीलदार का यह सफर तय करना इतना आसान नहीं था। उनको अपने जीवन में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। कई बार ऐसा भी समय आया, जब उनकी हिम्मत जवाब देने लगी थी। लेकिन फिर भी उन्होंने मुश्किल समय में खुद को संभालते हुए अपने लक्ष्य पर पूरा ध्यान केंद्रित बनाए रखा।
हिमांशु ने अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत के दम पर यूपी पीसीएस की परीक्षा पास कर सफलता हासिल की है। हिमांशु की सफलता से देशी ढाणी होटल का स्टाफ और परिवार बेहद खुश है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सफलता की सूचना जब देसी ढाणी होटल तक पहुंची तो पूरे होटल में हिमांशु का जोरदार स्वागत किया गया।
भारतीय तैराकी संघ के उपप्रधान, हरियाणा ओलम्पिक संघ के महासचिव और हरियाणा तैराकी संघ के महासचिव अनिल खत्री ने फूलमाला और मिठाई खिलाकर हिमांशु को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी ,वहीं होटल मालिक सुनील खत्री और विकास खत्री ने भी फूलमाला पहनाकर हिमांशु को बधाई दी। देशी ढाणी के स्टाफ ने भी अपने साथी की सफलता पर उसे मिठाई खिलाकर शुभकानाएं दी।
पिता का कुछ समय पहले हो गया निधन
हिमांशु उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के पास औरैया का रहने वाला है। उसके पिता रेलवे में कर्मचारी थे। कुछ समय पहले ही हिमांशु के पिता का निधन हो गया था। हिमांशु के दो छोटे भाई भी हैं जो फिलहाल पढ़ाई करते हैं। हिमांशु ने अपने परिवार को संभालने के लिए पढ़ाई के साथ काम भी शुरू कर दिया। उन्होंने पहले बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र में काम किया। उसके बाद वह देसी ढाणी होटल में वेटर का काम करने लगे। हालांकि उसने कभी अपने घर पर नहीं बताया कि वह वेटर का काम करता है।
विपरीत परिस्थितियों में जारी रखा पढ़ाई
हिमांशु के जीवन में कई बार वह पल आया जब उसे प्याज रोटी खा कर ही सोना पड़ा था, लेकिन उसने कभी भी हार नहीं मानी। हिमांशु ने बताया कि वह दिन में काम करते थे और रात में अपनी पढ़ाई करते थे। होटल स्टाफ और मालिक भी उनकी पढ़ाई में और घर चलाने में आर्थिक मदद करते थे। वेटर से नायब तहसीलदार के इस सफर में हिमांशु ने खाना परोसने के साथ, टेबल साफ करने, बर्तन धोने और झाड़ू पोछा लगाने का भी काम किया। उसने कभी भी किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझा।
देसी ढाणी के मालिक सुनील खत्री ने हिमांशु के बारे में यह बताया कि वह बेहद लग्नशील और मेहनती लड़का है। उसने कभी काम से जी नहीं चुराया। हमेशा हंसते हुए हर काम को किया और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। उन्होंने कहा कि हिमांशु का जीवन और सफलता की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा का काम करेगी। आपको बता दें कि हिमांशु ने एमकॉम कर रखा है। हिमांशु को वर्दी से बेहद प्यार है। इसलिए पहले फौज में जाना चाहते थे, लेकिन वह सपना पूरा ना हो सका तो अब हिमांशु यूपीएससी क्लियर कर पुलिस अफसर बनने की ख्वाहिश रखते हैं।