मिलिए तुलसी गौड़ा से, जानिए क्यों नंगे पाँव, जिस्म पर कपड़ा लपेटे निकल पड़ी थी वह पद्ममश्री अवार्ड लेने?
जो लोग आज तक यह सोचते आए हैं कि उसके पहरावे और रंग ढंग से ही उसकी हैसियत का पता चलता है उन लोगों के लिए यह पोस्ट ख़ास तौर पर हम लेकर आए हैं. आज के इस पोस्ट में असल में हजम आपको एक ऐसी महिला से रूबरू करवा रहे हैं जिन्होंने साबित कर दिखाया है कि महंगे कपड़े और शानों- शौकत ही कुछ नहीं होती बल्कि इंसान की असली पहचान उसका काम और नाम होता है. यह महिला कोई और नहीं बल्कि हाल ही में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से पद्मम श्री पुरूस्कार प्राप्त करने वाली तुलसी गौड़ा जी हैं. दरसल तुलसी गौड़ा बेहद साधारण महिला है जिन्हें प्रकृति से काफी प्रेम है और इसी प्यार ने आज उन्हें इस मुकाम तक पहुंचा दिया कि वह पद्मम श्री अवार्ड को अपने घर लेजा सकी हैं. तुलसी गौड़ा असल में उन सब लोगों के लिए एक मिसाल बन कर सामने आई हैं जो रईसी और दिखावे को ही सब कुछ मानते आए हैं.
गौरतलब है कि सिंपल सी दिखने वाली तुलसी गौड़ा हकीकत में काफी स्मार्ट और इंटेलिजेंट हैं. उन्होंने अब तक किसी प्रकार की कोई औषधि की पढ़ाई नहीं की है लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें आयुर्वेद और औषधि शास्त्र की भरपूर नॉलेज है. इतना ही नही बल्कि आज के समय में तुलसी गौड़ा लाखों नौजवानों को इस बारे में शिक्षा भी देती आई हैं. तुलसी जी का यह कहना है कि उन्होंने अपना बचपन और जवानी प्रकृति की गोद में बिताया था इसलिए उन्हें तमाम तरह की औषधियों की जानकारी है.
उनके प्रकृति को लेकर इतने सजग व्यवहार और समर्पण को देख कर ही उन्हें वन विभाग द्वारा पक्के तौर पर नौकरी की पेशकश की गई थी. हालाँकि उन्होंने पहले अस्थायी मेंबर बन कर ही काम की शुरुआत की थी और खुद को एक स्वयं सेवक समझ कर कम किया था. उन्हें हर तरह की औषिध और उसके गुणों के बारे में जानकारी थी. इसी कारण से अब उन्हें कुछ लोग जंगल की इनसाइक्लोपीडिया कह कर पुकारा जाने लगा था. वहीँ बीते दिनों उन्हें राष्टपति भवन ने बुलवा कर उनका सम्मान किया गया जीके बाद उन्हें सामने देख कर हर कोई हक्का बक्का रह गया था.
इनकी साधगी को देख कर भवन में हर कोई उस समय हैरत में पड़ गया जब लोगों ने इस बात को नोटिस किया कि तुलसी गौड़ा ने पैरों में कोई चप्पल नहीं पहन रखी है और वह नंगे पाँव ही चलती हैं. इतना ही नही वह महंगे साज सजावट वाले कपड़ों से भी कौसों दूर हैं इसलिए वह शरीर पर केवल एक कपडा ही बाँध कर पद्मम श्री पुरूस्कार लेने आ गई थीं. बताते चले कि तुलसी असल में कर्नाटक की हलकी स्वदेशी जनजाति से ताल्लुक रखती आई हैं जो अपने पूरे जीवनकाल में लाखों पेड़ लगा चुकी हैं साथ ही उन पेड़ों का अध्यन भी कर चुकी हैं.
बता दें कि राष्ट्रपति के इलावा उस समय भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी उपस्थित थे. यहाँ कुल 141 लोगों को सम्मान के लिए पद्मम श्री से नवाज़ा गया था जिसमे से सात पद्मम विभुष्ण, 10 पद्दम भूषण और अन्य 102 पद्मम श्री अवार्ड शामिल थे. वही तुलसी गौड़ा भी उन महिलाओं की लिस्ट में शामिल थी जिन्हें वह पुरुस्कार देकर उनका सम्मान बढ़ाया गया था.