कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. देश और विदेश इस आपदा की लपेट में आ चुके हैं. वहीँ भारत भी अब इस मामले में पीछे नहीं रहा है. अब तक लाखों लोग इस वायरस का शिकार हो चुके हैं और कईं लोग सीके चक्कर में अपनी जान तक गँवा चुके हैं. हालाँकि अब तक इस महामारी की कोई पूर्ण रूप से वैक्सीन नहीं मिल पाई है. वहीँ अब वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने दुनियाभर को एक चेतावनी जारी कर दी है. इस चेतवानी में WHO ने कहा है कि, “अब दुनिया अगली महामारी से निपटने के लिए तैयार रहे.”
दरअसल यह बात वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधनोम घ्रेबेसिस ने सोमवार देर शाम को कही है. इसके पीछे का कारण कहीं ना कहीं कोरोना वायरस को ही माना जा सकता है. टेड्रोस ने बताया कि दुनियाभर में जितने भी देश हैं, उन्हें अगली कोई महामारी आने से पहले ही पब्लिक हेल्थ में पैसा निवेश कर लेना चाहिए क्यूंकि कोरोना जैसे हालात कभी भी बन सकते हैं.
आगे बोलते हुए टेड्रोस ने कहा कि, “इस नोवल कोरोना वायरस की वजह से अब तक दुनियाभर में लगभग 2.71 लोग संक्रमित पाए गए हैं. इनमे से 8.88 लाख से अधिक मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. यह हालत कोरोना वायरस ने दिसंबर 2019 से लेकर अब तक कर दी है. बहुत से देशों में अब इस वायरस का प्रकोप बढ़ता चला जा रहा है और इसको रोकना उतना ही मुश्किल भी हो रहा है. ऐसे में हमें आने वाली दूसरी महामारी के लिए पहले से ही खुद को तैयार करने की जरूरत है.”
जेनेवा में हुई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डॉ. टेड्रोस ने कहा- “यह कोई आखिरी आपदा या फिर आखिरी महामारी नहीं है. क्यूंकि इससे पहले भी धरती पर कईं प्रकार की महामारियां आ चुकी हैं. इतिहास इन बिमारियों का गवाह रहा है और यह सब लाइफ की असली सच्चाई भी हैं. यह कभी खत्म नहीं हो सकती. लेकिन इससे पहले कि कोई दूसरी महामारी हम पर हल्ला बोल दे, हमे पहले से ही उसकी तयारी शुरू कर देनी चाहिए ताकि समय रहते हम खुद को उस बीमारी या आपदा से बचा सकें.”
टेड्रोस के अनुसार सब देशों के वैज्ञानिकों को मिल कर अब बिमारियों की वैक्सीन खोजने का कार्य शुरू कर देना चाहिए और पब्लिक हेल्थ में जितना ज्यादा हो सके, उतना पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए. ताकि जब कोई नई महामारी दुनिया में प्रवेश करे तो उसकी दवाई पहले से ही मौजूद रहे और उसको फैलने से तुरंत रोका जा सके. वहीँ वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के एक अधिकारी ने कहा कि इस साल के अंत तक कोरोना की वैक्सीन मिल पाना मुश्किल है. हालाँकि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन लोगों तक पहुंचाने की बात कही जा रही थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसलिए इस साल के अंत तक वैक्सीन आना लगभग ना के बराबर ही है.