आखिर भगवान शिव को बिल्वपत्र क्यों है इतना प्रिय, जानिए इससे जुड़ी कथा
भगवान शिवजी को प्रसन्न करने और इनकी विशेष पूजा आराधना का शुभ दिन महाशिवरात्रि माना जाता है। इस दिन भक्त महादेव की भक्ति में लीन रहते हैं और इनको प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करते हैं। आपको बता दें कि इस बार महाशिवरात्रि का महापर्व 11 मार्च 2021 दिन गुरुवार को है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। चारों तरफ भगवान शिव जी की जय-जयकार गूंजती है। महाशिवरात्रि के पर्व पर भक्त शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय चीजें अर्पित करते हैं। उन्हीं प्रिय चीजों में से एक बिल्वपत्र है, जो भगवान शिव जी को सबसे प्रिय माना गया है। ऐसा माना जाता है कि बिना बिल्वपत्र के भगवान शिवजी की पूजा अधूरी होती है।
धार्मिक शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भगवान शिव जी सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। अगर इनको एक बिल्वपत्र और एक लोटा जल अर्पित कर दिया जाए तो यह उतने में ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी वजह से भोले भंडारी को आशुतोष भी कहा जाता है। भगवान शिव अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा देखते हैं। इनको प्रसन्न करने के लिए किसी भी कीमती चीज की आवश्यकता नहीं पड़ती है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर मंदिरों में शिवलिंग पूरी तरह से बिल्वपत्रों से ढक जाती है। ऐसी मान्यता है कि अगर भगवान शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित किया जाए तो इससे सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं परंतु भगवान शिव जी को बिल्वपत्र आखिर इतना प्रिय क्यों है? चलिए जानते हैं इसके बारे में…..
शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से जुड़ी पौराणिक कथा
आप लोगों में से कई लोग ऐसे होंगे जिनके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि आखिर भगवान शिव जी के स्वरूप शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित क्यों किया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जब अमृत प्राप्ति के लिए देवों और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन किया गया था तो सबसे पहले हलाहल विष प्राप्त हुआ था। इस विष का प्रभाव इतना तेज था कि सभी देव और दानव जलने लगे थे। विष के प्रभाव से पूरी सृष्टि का विनाश हो सकता था परंतु किसी में भी इस विष को सहन करने की क्षमता नहीं थी। सभी काफी चिंतित हो गए। आखिर में सभी भगवान शिव जी के पास पहुंचे। तब भगवान शिव जी ने इस सृष्टि की रक्षा करने के लिए विष पान किया था।
विष का प्रभाव इतना तेज था कि भगवान शिव जी का गला नीला पड़ गया था और शरीर भी तपने लगा था। तब भगवान शिव जी के शरीर को शीतल करने के लिए देवी-देवताओं ने गंगाजल से अभिषेक किया और बेलपत्र उनको खिलाया था, जिसके प्रभाव से शिवजी के शरीर की तपन कम होने लग गई थी। ऐसा माना जाता है कि तभी से भगवान शिवजी को बेलपत्र बहुत प्रिय है। इसी वजह से जब भक्त भगवान शिवजी को बेलपत्र चढ़ाते हैं तो वह अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। बिल्वपत्र के बिना भगवान शिवजी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
बिल्वपत्र अर्पित करते समय ये बातें ध्यान रखें
- अगर आप भगवान शिव जी की पूजा के दौरान बेलपत्र अर्पित कर रहे हैं तो सबसे पहले आप उसको साफ पानी से धोने के बाद गंगाजल से शुद्ध कर लीजिए।
- बिल्वपत्र शिवलिंग पर अर्पित करने से पहले आपको यह अच्छी प्रकार से देख लेना होगा कि बेलपत्र का पता कहीं से कटा फटा नहीं होना चाहिए।
- जब आप शिव जी को बिल्वपत्र अर्पित कर रहे हैं तो उसके साथ में जल अर्पित जरूर कीजिए। सिर्फ बिल्वपत्र अर्पित ना करें।
- भगवान शिव जी को हमेशा तीन पत्तियों का बिल पत्र अर्पित करें खंडित बिल्वपत्र मान्य नहीं होता है।
- अगर आप भगवान शिव जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो बिल्वपत्र चढ़ाते समय उनके पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय का उच्चारण भी करते रहें।