विश्व स्तर पर फैली कोरोना महामारी लोगों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तौर पर तोड़ती जा रही है, इस समय अमानवीय घटनाएं भी देखने को मिल रही हैं. ऐसी ही एक कहानी रुचि और रौशन की है जिसे सुन आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल रुचि 26 दिन तक अपने पति रौशन के लिए अस्पताल के मैनेजमेंट से लड़ती रही और फिर भी अपने पति को बचा न पाई. इस बीच अस्पताल के स्टाफ ने उनसे छेड़छाड़ भी की. वहीं पैसे को लेकर भी शोषण हुआ. इन सब बातों को याद करके रुचि रोना नहीं रोक पाती. रुचि ने जो सहा वो भयानक है. उसने अपने पति की आंखों में ऑक्सीजन खत्म हो जाने का डर देखा.
आपको बता दें कि पटना के इस निजी हाॅस्पिटल ने अपने यहां भर्ती मरीजों के लिए ही ब्लैक में ऑक्सीजन बेची और रुचि ने अपने पति के के लिए इसे खरीदा भी लिया, लेकिन वह अपने पति को बचा नहीं पाई. वहीं रुचि ने डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही के बारे में आजतक से बात की, उससे यही पता लगा है कि कोरोना से एक बार के लिए बच भी जाते हैं लेकिन अस्पताल की लापरवाही से निधन तय है. वहीं 26 दिनों तक पति के साथ रुचि साए की तरह रही. रुचि अपने पति को बचा नहीं सकी. रुचि अपने पति के साथ होली में परिवार वालों से मिलने भागलपुर गई थी.
दरअसल 9 अप्रैल को रौशन को सर्दी बुखार हुआ. इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में गए. रुचि देखभाल के लिए वहां रहती. उसी बीच अस्पताल के कर्मचारी ने उसके साथ छेड़छाड़ की, जिसे पति ने भी देखा. लेकिन लाचार पति कुछ न कर पाया. वहीं डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से रुचि ने अपने पति को मायागंज अस्पताल में भर्ती किया. वहां के हालात और खराब थे. ICU में एक के बाद एक लोग मर रहे थे, रुचि ने कहा कि एक आदमी, डॉक्टर-डॉक्टर चिल्लाते-चिल्लाते बेड से गिरा, उसका माथा फटा. चारों तरफ खून खून हो गया. हालाँकि इसके बावजूद डॉक्टरों बेफिक्र थे. आरोप थे कि डॉक्टर और नर्स अपने कमरे में मोबाइल पर पिक्चर देखते है लेकिन कोई मरीज को देखता नहीं था.
बता दें कि रुचि की बड़ी बहन ऋचा का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ गंदी नजर से देखते है और बार-बार शरीर छूने की कोशिश करते थे. जब मायागंज अस्पताल में हालत खराब हो गई, तो एयर एंबुलेंस से दिल्ली जाने की कोशिश की, लेकिन एयर एंबुलेंस समय पर नहीं मिली और पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. आरोप है कि यहां भी मरीजों को लूटा. अस्पताल ने ऑक्सीजन की कमी बता कर अपने ही अस्पताल के ऑक्सीजन सिलेंडर को 50-50 हजार में अपने ही मरीजों को बेच दिया. वहीं रुचि का आरोप है कि रौशन की मौत कोरोना से कम हाॅस्पिटल की कुव्यवस्था और ऑक्सीजन खत्म होने के डर से अधिक हुई. रुचि और रौशन की पांच साल पहले ही शादी हुई थी रौशन को याद कर रुचि के आंसू नहीं रुकते.