आज दोपहर 2:18 बजे से शुरू हो रहा है पंचक यदि भूल से भी इस दौरान किया ये 5 काम तो हो जायेंगे बर्बाद
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पांच नक्षत्रों के समूह को पंचक कहते है जैसे धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद एवं रेवती कुछ ऐसे ही अशुभ नक्षत्रों के नाम है, जिन्हें काफी अशुभ माना जाता है। धनिष्ठा के प्रारंभ से लेकर रेवती के अंत तक का समय काफी अशुभ माना गया है, इसीलिए इसे पंचक कहा जाता है| ज्योतिष में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है| ज्योतिष विज्ञान के अनुसार चन्द्रमा अपनी मध्यं गति से 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है इसीलिए हर माह में लगभग 27 दिनों के अन्तराल पर पंचक नक्षत्र आते रहते हैं |
आज शुक्रवार दोपहर 2 :18 बजे से पंचक शुरू हो रहा है जो बुधवार 24 जनवरी को सुबह 8:35 तक रहेगा | पांच दिनों का यह समय, वर्ष में कई बार आता है। इसलिए सामान्य जन को यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी जरूरी कार्य इन पांच दिनों में संपन्न ना किया जाए तो ही बेहतर है। इसके लिए आप किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।
वैदिक ज्योतिषी में पंचक को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य को पंचक काल में करना वर्जित माना गया है। मुहूर्त का संबंध भी पंचक तिथियों से होता है। माना जाता है कि हर महीने आने वाली पंचक तिथियों में कोई भी महत्वपूर्ण कार्य करना फलदायी नहीं होता |आइये आपको बताते हैं की पंचक के दौरान कौन से काम नहीं करना चाहिए|
पंचक के दौरान वर्जित कार्य
पंचक के अशुभ नक्षत्र के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नही करना चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।
पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा करना अशुभ माना जाता है , क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, तो कभी भी घर का निर्माण नहीं करवाना चाहिए ऐसा विद्वानों का मत है। इससे घर में धन हानि और घर में क्लेश होता है और इस दौरान बच्चों का मुंडन नहीं करना चाहिए
पंचक में चारपाई कभी नहीं बुनवाना चाहिए यह अशुभ माना जाता है। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से आपके ऊपर कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है
पंचक में शव का अंतिम संस्कार नही करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का अन्तिम संस्कार करने से उस कुटुंब में पांच मृत्यु और हो जाती है।
यदि परिस्थितीवश पंचक के दौरान ही किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करें, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।
किसी भी व्यक्ति के जीवन पर ऐसा होता है पंचक के नक्षत्रों का प्रभाव
धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
शतभिषा नक्षत्र में कलह होने के योग बनते हैं।
पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र होता है।
उतराभाद्रपद में धन के रूप में दण्ड होता है।
रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना होती है।